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स्वस्थ व टिकाऊ पर्यावरण पर UN के प्रस्ताव का भारत ने किया समर्थन, लेकिन जताई चिंता


वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र महासभा के स्वच्छ, स्वस्थ व टिकाऊ पर्यावरण को मानवाधिकार के रूप में मान्यता देने वाले प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया है। भारत ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया। हालांकि, प्रस्ताव के एक पैराग्राफ से खुद को अलग कर लिया। यह पैराग्राफ प्रस्ताव के सार से संबंधित है।

193 सदस्यी महासभा में 161 मतों के साथ इस प्रस्ताव को पारित किया गया है। हालांकि, बेलारूस, कंबोडिया, चीन, इथियोपिया, ईरान, किर्गिस्तान, रूस और सीरिया ने खुद को इससे दूर रखा। जबकि भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हुए संकल्प की प्रक्रिया और सार पर अपनी चिंता व्यक्त की।

यह प्रस्ताव मानव अधिकार के रूप में एक स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के अधिकार को मान्यता देता है। इस बार की पुष्टि करता है कि मानव अधिकार को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण के सिद्धांतों के तहत बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों के पूर्ण कार्यान्वयन व कानून की आवश्यकता है।

भारत ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के सलाहकार आशीष शर्मा ने कहा, भारत बेहतर पर्यावरण के लिए किसी भी प्रयास का समर्थन करता है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, इसके बावजूद हमारी कुछ चिंताए हैं, जिसके तहत हम संकल्प के ऑपरेटिव पैराग्राफ 1 से खुद को अलग करने के लिए बाध्य हैं।


आशीष शर्मा ने कहा, संकल्प पैराग्राफ 1 में लिखा है कि यूएनजीए मानव अधिकार के रूप में स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के अधिकार को मान्यता देता है। उन्होंने कहा, इस बयान को बैठक में आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल किया जाए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यूएनजीए के संकल्प अपने आप में बाध्यकारी नहीं हैं। यह केवल उनके लिए है, जो एक नए मानव अधिकार के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत की ओर से शर्मा ने कहा, स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ जैसे शब्दों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। आशीष शर्मा ने कहा, प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कानून में समानता के मूलभूत सिद्धांत को स्पष्ट नहीं करता है। ऐसे में भारत ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है।

गुटेरस ने किया प्रस्ताव का स्वागत
वहीं यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा, ये ऐतिहासिक घटनाक्रम दिखाता है कि सदस्य देश, जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता र प्रदूषण का सामना करने के लिये एकजुट हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस अधिकार को सार्वभौमिक मान्यता दी है और हम सबके लिये, इसे एक वास्तविकता में तब्दील करने के और निकट पहुँचा दिया है।

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