विदेश

भारत ने चेताया, China के कर्ज के जाल में न फंसें कोई देश


म्यूनिख । भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने चीन (China) के साथ संबंधों को लेकर अन्य देशों को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि कोई भी देश चीन की चाल में फंसकर कर्ज में डूबने की गलती न करे.

विदेश मंत्री जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर समझौतों का उल्लंघन किया है, यही वजह है कि भारत के साथ उसके संबंध मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. उन्होंने अन्य देशों को चेताया कि चीनी सहायता स्वीकार करने के बाद आप उसके बिछाए जाल में फंसकर रह जाएंगे. इस दौरान जयशंकर ने रेखांकित किया कि ‘सीमा की स्थिति दोनों देशों के बीच के संबंधों की स्थिति का निर्धारण करेगी.’

जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में ‘भारत-प्रशांत में क्षेत्रीय व्यवस्था और सुरक्षा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए यह टिप्पणी की. उन्होंने अपने ऑस्ट्रेलियाई और जापानी समकक्षों, मारिस पायने (Marise Payne) और योशिमासा हयाशी (Yoshimasa Hayashi) के साथ हुई बैठक के दौरान यह बात कही.



भारतीय विदेश मंत्री ने मई 2020 में शुरू हुए सैन्य गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा, ‘भारत को चीन के साथ एक समस्या है और समस्या यह है कि 1975 से 45 साल तक सीमा पर शांति रही, स्थिर सीमा प्रबंधन रहा, कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ.’ उन्होंने कहा, ‘अब यह बदल गया है क्योंकि हमने चीन के साथ सीमा या वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य बलों की तैनाती नहीं करने लिए समझौते किए थे … लेकिन चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया है.’

जयशंकर ने कहा, ‘स्वाभाविक तौर पर सीमा की स्थिति संबंधों की स्थिति का निर्धारण करेगी.’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘जाहिर तौर पर फिलहाल चीन के साथ संबंध बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के साथ भारत के संबंध जून 2020 से पहले भी काफी अच्छे थे. पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हो गया था.

इसी दौरान दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी थी. 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में एक हिंसक झड़प के बाद तनाव बढ़ गया था. जयशंकर ने एमएससी में हिंद-प्रशांत पर एक परिचर्चा में भाग लिया, जिसका उद्देश्य यूक्रेन को लेकर नाटो देशों और रूस के बीच बढ़ते तनाव पर व्यापक विचार-विमर्श करना है.

 

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