जकार्ता। इंडोनेशिया के जावा प्रांत के मलांग में फुटबॉल मैच के दौरान हुई घटना के लिए दर्शक और संस्थाएं पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रही हैं। भगदड़ में घायल हुए मुहम्मद रियान ने कंजुरुहान हॉस्पिटल में इलाज के दौरान बताया कि उनके कई दोस्तों की जान गई, उनका भी हाथ टूट गया था।
उन्होंने कहा, अगर पुलिस थोड़ी मानवीयता दिखाती तो हालात इतने नहीं बिगड़ते लेकिन पुलिस ने बच्चे व महिलाओं का भी लिहाज नहीं किया और आंखें बंद कर लाठी-डंडे बरसाने शुरू कर दिए। आंसू गैस की वजह से बहुत से लोगों की दम घुटने से भी मौत हो गई।
फीफा का दावा, अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया
फुटबॉल के वैश्विक शासकीय निकाय फीफा ने कहा कि अधिकारियों ने कई नियमों का उल्लंघन भी किया है। खेल के मैदान में आंसू गैस का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जावा पुलिस ने कहा कि उसे नियमों की जानकारी नहीं थी।
राष्ट्रपति ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट, फुटबॉल एसोसिएशन ने सभी मैच किए रद्द
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने स्थानीय अधिकारियों से घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और पीडि़तों के प्रति संवेदना जताई है। वहीं, दूसरी तरफ फुटबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडोनेशिया को देश में सभी मैच निरस्त करने का आदेश दिया है।
फुटबॉल मैदान में पहले भी हो चुकीं हैं ऐसी घटनाएं
- 1964 में लीमा में अर्जेंटीना और पेरू के मैच के दौरान पेरू के खिलाफ रैफरी के फैसले को लेकर प्रशंसकों में मुठभेड़ हो गई थी। इसमें 328 लोगों की मौत हुई थी।
- 1982 में मॉस्को में हुए रूस और डच के मुकाबले में 66 प्रशंसकों की मौत हुई थी।
- 1988 में काठमांडो में मैच के दौरान भगदड़ मच जाने से 80 लोगों ने जान गंवाई थी।
- 1989 में शेफील्ड में भगदड़ मचने से लिवरपूल के 96 समर्थकों की जान चली गई थी।