विदेश

बाल मजदूरी के खिलाफ झारखंड की बेटी काजल पहुंची UN, शिक्षा पर कहीं यह बात…

वाशिंगटन। भारत के पिछड़‍े राज्यों में एक झारखंड (Jharkhand) और यही बाल मजदूरी करने वाली कोडरमा के डोमचांच (Domchanch of Koderma) की 20 वर्षीया बेटी काजल (Kajal) ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों (child laborers) की पीड़ा को लेकर अपनी बात रखी।

आपको बता दें कि कोडरमा की बेटी काजल (Kajal) के लिए 21 सितंबर का दिन यादगार बन गया। काजल न्यूयॉर्क में यूएन के मंच पर खड़ी थी। कभी बाल मजदूरी का दंश झेलनी वाली काजल इस मंच पर वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा बता रही थी। इस प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही थी। मौका था संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट का।

न्‍यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के (United Nations in New York) मंच पर झारखंड की बेटी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. भारत के पिछड़‍ राज्यों में एक झारखंड और यही बाल मजदूरी करने वाली बेटी काजल ने संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा को लेकर अपनी बात रखी. मौका था संयुक्‍त राष्‍ट्र की ‘ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट’ का. 20 साल की काजल ने गंभीरता से कहा कि बालश्रम और बाल शोषण को खत्म करने के लिए शिक्षा की सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका है. इसलिए बच्‍चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने होंगे और इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से अधिक प्रयास करने चाहिए!



कोडरमा के डोमचांच की 20 वर्षीया काजल ने कहा कि बालश्रम और बाल शोषण के खात्मे में शिक्षा की अहम भूमिका है। बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर देने होंगे। इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से प्रयास करना चाहिए। नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल ने बालश्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और बच्चों की शिक्षा को लेकर अपनी बात रखी।

काजल ने कहा कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षा चाबी के समान है। इसी के जरिए ही वे बालश्रम, बाल शोषण, बाल विवाह और गरीबी से बच सकते हैं। कार्यक्रम में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लीमा जीबोवी, स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन लोवेन, बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां मौजूद थीं।

कभी बाल मजदूर थी काजल
काजल कोडरमा की मधुबन पंचायत स्थित एकतरवा गांव में बाल मित्र ग्राम में बाल पंचायत अध्यक्ष है। काजल कभी अभ्रक खदान में पिता के साथ मजदूरी करती थी। 14 साल की उम्र में बाल मित्र ग्राम ने उसे ढिबरा चुनने के काम से निकाल स्कूल में दाखिला करवाया। इसके बाद से काजल कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम से जुड़ी। संस्थान की ओर से ही काजल का चयन अमेरिका जाने के लिए हुआ था।

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