अयोध्या। भारतीय सेना के जवानों (Indian Army soldiers) की बहादुरी का लोहा पूरी दुनिया मानती है। सिक्किम (Sikkim) में तैनात अयोध्या (Ayodhya) के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी (Lieutenant Shashank Tiwari) ने साथी की जान बचाने के लिए खुद के जीवन की परवाह नहीं की। लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने साथी को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। दरअसल उनका एक साथी अचानक नदी में गिर गया। नदी में बहाव बहुत तेज था। लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने देखते ही नदी में छलांग लगा दी। नदी की तेज धार में वह तैर नहीं पाए और उनकी जान चली गई।
शुक्रवार को अयोध्या पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि अयोध्या में उनका स्मारक बनाया जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकार की तरफ से उनके परिवार को 50 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। बता दें कि 22 साल के लेफ्टिनेंट तिवारी छह महीने पहले दिसंबर में ही कमीशन हुए थे। उनकी पहली तैनाती सिक्किम स्काउट्स में हुई थी।
शुक्रवार देर रात उनका पार्थिव शरीर अयोध्या पहुंचा। शनिवार को जामतारा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। लेफ्टिनेंट तिवारी अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे। आर्मी की तरफ से कहा गया कि बहुत कम उम्र और सेवा के कम दिनों में ही लेफ्टिनेंट तिवारी ने जो बहादुरी दिखाई है वह सलाम करने लायक है। वह युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने सहयोग की भावना और बहादुरी की मिसाल पेश की है।
अयोध्या सिटी मजिस्ट्रेट राजेश मिश्रा ने कहा कि लेफ्टिनेंट तिवारी के पिता जंग बहादुर तिवारी मर्चेंट नेवी में हैं और इस समय अमेरिक में थे। शनिवार सुबह तक उनके अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है। लेफ्टिनेंट तिवारी का पार्थिव शरीर बागडोगरा एयरपोर्ट से सीधा अयोध्या लाया गया था। इसके बाद रातभर पार्थिव शरीर को फैजाबाद मिलिट्री हॉस्पिटल में रखा गया।
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