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फ्रांस पर भड़काऊ बयान देने के बाद महातिर मोहम्मद ने दी सफाई


नई दिल्ली। मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने फ्रांस में हुए हमले पर अपनी भड़काऊ टिप्पणी को लेकर सफाई दी है। मलेशियाई नेता ने शुक्रवार को कहा कि उनके बयान का गलत संदर्भ निकाला गया है। दरअसल, महातिर ने गुरुवार को अपने ब्लॉग में लिखा था कि फ्रांस में अतीत में हुए नरसंहार को देखते हुए मुस्लिमों को नाराज होने और लाखों फ्रेंच को मारने का पूरा अधिकार है।

ट्विटर ने महातिर की हिंसा को गौरवान्वित करने वाली टिप्पणी को हटा दिया था। फ्रांस के डिजिटल मंत्री ने ट्विटर पर महातिर को बैन करने की भी मांग की थी। महातिर ने अपने बयान में कहा, मैं बहुत ही व्यथित हूं कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और संदर्भ से बाहर जाकर अर्थ निकाले गए। महातिर ने कहा कि आलोचक उनकी पोस्ट की अगली लाइन पढ़ने में नाकाम रहे जिसमें कहा गया था कि मुस्लिमों ने अब तक “आंख के बदले आंख” वाले नियम को लागू नहीं किया और फ्रांस के लोगों को भी ऐसा नहीं करना चाहिए। फ्रांस को दूसरे धर्म के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए।

महातिर ने कहा कि उनके स्पष्टीकरण के बावजूद ट्विटर और फेसबुक ने उनकी पोस्ट हटा दी। महातिर ने इस कदम को गैर-जरूरी करार दिया। महातिर ने लिखा, एक तरफ वे पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए जाने का बचाव करते हैं और मुस्लिमों से उम्मीद करते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर मुस्लिम इसे बर्दाश्त करें। दूसरी तरफ, उन्होंने जानबूझकर ये ट्वीट डिलीट कर दिया जिसमें मैंने कहा कि मुस्लिमों ने कभी भी अतीत में अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेने की कोशिश नहीं की…मेरे आर्टिकल के खिलाफ ऐसे रिएक्शन इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि मुस्लिमों के खिलाफ फ्रांस के लोगों की नफरत बढ़ाई जा सके।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने एक बयान में कहा था कि इस्लाम संकट में है और फ्रांस में इस्लामिक कट्टरपंथ पर नकेल कसने का संकल्प लिया था। इस बयान के बाद मुस्लिम देशों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली और फ्रांस के सामान के बहिष्कार की अपील भी की जाने लगी। इसी बीच, फ्रांस के नीस शहर के चर्च पर एक और आतंकवादी हमला हुआ जिसमें तीन लोग मारे गए। इसके बाद ही, महातिर ने कई ट्वीट किए थे। महातिर के ट्वीट्स पर हंगामा मच गया।

मलेशिया में अमेरिकी राजदूत कमला सिरीन लखदीर ने शुक्रवार को कहा कि वो महातिर के बयान से पूरी तरह असहमत हैं। उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आपका अधिकार है लेकिन हिंसा के लिए उकसाना नहीं। मलेशिया में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त एंड्रू गोल्दजिनोवास्की ने कहा कि महातिर भले ही हिंसा की वकालत नहीं कर रहे थे लेकिन मौजूदा माहौल में ऐसे शब्दों के भी गंभीर नतीजे हो सकते हैं।

 

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