नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस दीपांकर दत्ता ने बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) में जजों (Judges) की कमी पर बात की और कहा जजों को सलाह दी कि वे जीवन और काम में संतुलन बनाकर चलें और अपनी सेहत के साथ कोई समझौता न करें। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस दत्ता ने ये बातें कही। इस कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई को सम्मानित किया गया।
बॉम्बे उच्च न्यायालय में जजों की कमी पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि ‘साल 2013 में बॉम्बे हाईकोर्ट में जजों की संख्या 75 से 94 तक पहुंच गई थी। 2013 से 2020 के बीच सिर्फ एक बार बॉम्बे उच्च न्यायालय में जजों की संख्या ने 75 का आंकड़ा छुआ, लेकिन उसके बाद यह आंकड़ा कभी नहीं छुआ गया, 94 जजों की तो बात ही छोड़ दीजिए।’ बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता ने जीवन और काम में संतुलन बनाकर रखने की बात कही और काम के चक्कर में सेहत से समझौता न करने की सलाह दी।
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