नई दिल्ली। पुराणों में मार्गशीर्ष माह (margashirsha month) को सभी महीनों में सर्वोत्तम माना गया. इस माह को स्वयं श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है. मार्गशीर्ष माह में पूर्णिमा (Purnima ) बहुत मायने रखती है. ये दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है. अगहन पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों (holy rivers) में स्नान करने, व्रत एवं दान-पुण्य करने के अलावा चंद्रमा की उपासना जरूर करनी चाहिए. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को अमृत से सींचा गया था. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत रखने वालों को जन्म मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा की डेट, मुहूर्त और इस दिन चंद्र देव की पूजा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 डेट (Margashirsha Purnima 2022 Date)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 7 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा. इसी दिन दत्तात्रेय जयंती भी मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार अगहन पूर्णिमा 07 दिसंबर 2022 को प्रात: 08 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर इसका समापन है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा महत्व (Margashirsha Purnima Significance)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से सुशोभित होता है. मान्यता है कि इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी या उसके जल से स्नान करना चाहिए. इससे समस्त पाप धुल जाते हैं. ये मोक्षदायिनी पूर्णिमा कहलाती है. कहते हैं कि इस दिन किये जाने वाले दान से अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहते हैं.
पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का महत्व (Margashirsha Purnima Moon puja Importance)
मार्गशीर्ष माह का आखिरी दिन यानी कि पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की दूध से अर्घ्य देने पर मानसिक शांति का वरदान मिलता है. चंद्र देव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. सभी कष्ट दूर होते हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को कच्चे दूध में मिश्री और चावल मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए है हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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