
लखनऊ। युवाओं के वोट बटोरने के प्रयास में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बसपा (BSP) के चुनावी अभियान (Election campaign) का नेतृत्व (Lead ) अब पार्टी सुप्रीमो मायावती के भतीजे (Mayawatis nephew) आकाश आनंद (Akash Anand) करेंगे। आकाश आनंद युवाओं को लामबंद करेंगे और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर के खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करेंगे।
वह पार्टी के सोशल मीडिया अभियान को भी बढ़ावा देंगे और मतदाताओं को बहुजन समाज पार्टी की नीतियों के बारे में जागरूक करने में मदद करेंगे। बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश की सहायता बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा करेंगे।
हाल ही में एक ट्वीट में सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा था कि पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है और बसपा में युवाओं की भूमिका बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी के युवा नेता लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं। पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार, आकाश ही पार्टी की रणनीति तैयार करेंगे, सोशल मीडिया अभियान की रूपरेखा तैयार करेंगे और अन्य तौर-तरीकों पर काम करेंगे।
आकाश पंजाब में भी सक्रिय हैं, जहां बसपा शिरोमणि अकाली दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पंजाब के साथ ही मायावती ने उन्हें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी युवाओं का समर्थन जीतने की जिम्मेदारी सौंपी है। इन सभी राज्यों में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
आकाश को 2019 में बसपा का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया था, जब मायावती ने समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने के तुरंत बाद पार्टी में बदलाव किया था। वह विभिन्न राज्यों में पार्टी मामलों का प्रबंधन करते रहे हैं और यहां तक कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में बसपा-सपा गठबंधन के लिए प्रचार भी किया था।
चुनाव में हार के बाद वह लो-प्रोफाइल (चर्चाओं में कम रहना) बने हुए थे। हालांकि, देर से ही सही, बसपा अब चुनावी मोड में सामने आ रही है, क्योंकि भीम आर्मी दलित वोट आधार में घुसपैठ कर रही है। चंद्रशेखर बड़ी संख्या में युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वह अपना आधार लगातार मजबूत करते जा रहे हैं।
बसपा, जो अब दलित नेताओं की कमी का सामना कर रही है, ने आखिरकार आकाश को अग्रिम पंक्ति के नेता के रूप में उतारने और भीम आर्मी द्वारा किए जा रहे नुकसान को नियंत्रित करने का फैसला किया है। इस बीच, कपिल मिश्रा पहले से ही अगड़ी जाति के युवाओं को लुभाने के लिए ‘प्रबुद्ध सम्मेलनों’ को संबोधित कर रहे हैं।
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