उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News) मध्‍यप्रदेश

बिना तौल बांटी जा रही है मध्यान्ह भोजन की सामग्री

मंदसौर। कोरोना महामारी के कारण भारत में 22 मार्च से लॉकडाउन लग गया था। जिसके बाद से ही सभी स्कूलों ओर आंगनवाड़ियों को भी बंद कर दिया गया था जो अभी तक बंद ही है। सरकारी स्कूलों और आंगनवाड़ियों में आने वाले बच्चों को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था रहती है, लेकिन जब से लाकडाउन के कारण स्कूल और आंगनवाडी बंद हुए है तब से सरकार ने बच्चों के लिए राशन की व्यवस्था की है, लेकिन इस राशन वितरण में कई प्रकार विसंगतियां देखने को मिल रही है। स्कूली शिक्षकों को ही इस कार्य में लगा दिया गया है वहीं शिक्षकों के पास चावल या गेहूं तौलने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है अंदाज से ही बच्चों को राशन का वितरण किया जा रहा है।
मध्यांह भोजन निर्धल वर्ग बच्चों को स्कूल में दिया जाता है, लेकिन अब गेहूं और चावल का वितरण हर सरकारी स्कूलों में किया जा रहा है। वितरण का यह काम राशन सप्लाय के ठेकेदारों को करना चाहिए, लेकिन अव्यवस्थाओं के कारण स्कूलों के शिक्षकों का ही यह कार्य करना पड रहा है।
प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के विद्यार्थियों को अलग-अलग माप से गेहूं और चावल का वितरण किया जा रहा है, लेकिन राशन वितरण में यह भी देखा जा रहा है कि स्कूलों में बच्चों को बुलाकर गेहूं चावल दिए जा रहे हैं। सोमवार को नगर के बालागंज स्थित सरकारी स्कूल मे मध्यान भोजन के गेहूं और चावल बच्चों को बुलाकर बांटे गये। यहां पर देखने को मिला कि शिक्षकों के पास ना तो तोलने का कोई तराजू है और ना ही कोई वजन करने की वस्तु। बच्चों को तपेली या केटली के नाप से चावल और गेहूं दिया जा रहा है। जिसमें बच्चों को नियम मान से राशन नहीं मिल पा रहा है। शिक्षकों ने पूछने पर बताया कि यह हम लोगों ने एक नाप तय कर लिया है। उसी मान से बच्चों को राशन दिया जा रहा है। एक बच्चे को प्राइमरी स्कूल में 100 ग्राम राशन दिया जा रहा है, वही मिडिल स्कूल के बच्चे को डेढ़ सौ ग्राम राशन दिया जाना शासन ने तय किया है। वर्तमान में अगस्त माह का चावल और गेहूं वितरित किया जा रहा है।

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