मध्‍यप्रदेश

MP: विधानसभा की जर्जर सड़कों की वजह से ऊर्जा मंत्री ने त्यागी चप्पल

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले (Gwalior district of Madhya Pradesh) में ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) हैरान और परेशान नजर आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वह अपनी ही विधानसभा की जर्जर सड़कों (dilapidated roads of assembly) को नहीं बनवा पा रहे हैं। यही कारण है कि ऊर्जा मंत्री (energy minister) ने जूते चप्पल त्याग दिए हैं और उन्होंने जनता से वादा किया है कि जब तक विधानसभा की सड़कें नहीं बन जातीं, तब तक वह नंगे पैर चलेंगे। अब इसको लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस का कहना है, ऊर्जा मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि उनकी ही बातों को प्रशासन का कोई भी अधिकारी नहीं सुन रहा है तो फिर आम जनता के काम कैसे होंगे।

दरअसल, उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर अपनी विधानसभा में सड़क नहीं बनने से नाराज हो गए हैं और उन्होंने जूते चप्पल पहनना छोड़ दिया है। उन्होंने शहर की सड़कें नहीं बन पाने के कारण शहर की जनता से माफी मांगी है और उन्होंने कहा है कि जब तक सड़कें नहीं बन जातीं, तब तक वह जूते चप्पल नहीं पहनेंगे। इसको लेकर ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह चौहान ने अपनी विधानसभा में जर्जर सड़कों का जायजा लिया, इसके साथ ही उन्होंने जनता से माफी मांगी। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए ऊर्जा मंत्री इस तरह का प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं।


दरअसल, इस समय शहर की जर्जर सड़कों को लेकर सियासत जारी है। शहर की सभी सड़कें बुरी तरह से खुद ही पड़ी हैं। इसके साथ ही विभिन्न गलियों में अमृत योजना के तहत पेयजल लाइन को डालने के लिए गलियों को खोदा गया था। मरम्मत कार्य न होने से आमजन को निकलने में काफी परेशानी हो रही है। उर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर ने कई बार अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं, लेकिन अधिकारी उनकी बातों को मानने के लिए तैयार नहीं है। यही कारण है कि ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर ने विरोध दर्ज करते हुए नंगे पैर चलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

वहीं, अब इसको लेकर कांग्रेस भी मैदान में आ गई है। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि क्या आप इसे अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस विधानसभा में एक मंत्री की अधिकारी नहीं सुन रहे हैं तो आम लोगों के क्या हालात होंगे। ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर अपनी ही विधानसभा में काम नहीं कर पा रहे हैं और न ही उनकी अधिकारी सुन रहे हैं तो अब ऊर्जा मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर सरकार के विरोध में प्रदर्शन करना चाहिए।

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