जबलपुर। निजी स्कूलों द्वारा वसूली जा रही मनमानी फीस को लेकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य खंडपीठ द्वारा गुरुवार को अहम फैसला सुनाया गया है। अदालत ने कहा है कि निजी स्कूल कोरोना काल में सिर्फ तय ट्यूशन फीस ही वसूल सकते हैं।
दरअसल, कोरोना काल में भी निजी स्कूलों की मनमानी रुक नहीं रही है। निजी स्किूलों द्वारा अभिभावकों पर लगातार फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार ने निर्देश दिये हैं कि नजी स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही वसूल सकते हैं। इस मामले में कुछ जनहित याचिकाएं उच्च न्यायालय में लगाई गई थी, जबकि निजी स्कूलों द्वारा राज्य सरकार के निर्देश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था। गुरुवार को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ जबलपुर में इन याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि स्कूल संचालकों द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा बाकी कोई फीस नहीं वसूली जा सकती है।
कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि ज्यादा फीस ना वसूलने को लेकर स्कूलों को बकायदा शपथ पत्र हाई कोर्ट में जमा करना होगा, लेकिन अब तक स्कूलों ने शपथ पत्र दाखिल नहीं किए हैं, जिसको लेकर कोर्ट ने कडे लहजे में इस पर आपत्ति जताते हुए स्कूलों से जल्द से जल्द शपथ पत्र जमा करने के लिए कहा है। इसके अलावा निजी स्कूलों ने भी एक अर्जी लगाई थी कि जब सामान्य ढंग से स्कूल खुलेंगे, तो वे अपनी मासिक फीस वसूल सकेंगे. जिसको लेकर कोर्ट का कहना है कि पहले शपथ पत्र कोर्ट में जमा करें, उसके बाद आपके दूसरे आवेदन पर बाद में विचार किया जाएगा. फिलहाल इस मामले में अगली सुनवाई 23 सितम्बर को होगी। (एजेंसी, हि.स.)
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