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वैज्ञानिकों की नई खोज, गंजे सिर पर दोबारा उग सकेंगे बाल

नई दिल्‍ली (New Delhi)। बालों की समस्या (hair problem) लंबे समय से चलती आ रही है। कोई महिला हो या पुरुष सभी बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं, हालांकि बालों के झड़ने की समस्या से निजात पाने के लिए बहुत से घरेलू उपाय हैं। लेकिन ईरान में हुए एक नए शोध के दौरान गंजेपन को दूर करने के लिए एक नई तकनीक सामने आई है। इस रिसर्च में वैज्ञानिकों (scientists in research) ने दावा किया है कि किसी के शरीर से निकाले गए वसायुक्त ऊतक के जरिए बालों को दोबारा उगाया जा सकता है। यह असामान्य तकनीक विशेष रूप से स्कारिंग एलोपेसिया बीमारी में अच्छी तरह से काम करती है जो आमतौर पर स्थाई रूप से बालों के जाने का कारण है और इसे एक आटोइम्यून कंडीशन माना जाता है।



पिछले कुछ दशकों से वैज्ञानिक बालों को उगाने के नए-नए तरीकों पर काम कर रहे हैं. सिर पर अगर बाल न हो तो यह हतोत्साहित करने वाल हो जाता है. लेकिन वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज का दावा (Scientists claim such a discovery of bald skull) किया है जिसमें निकट भविष्य में गंजे हो चुके लोगों का इलाज किया जा सकता है.

यानी जिनके सिर पर बाल गिर गए हैं या बाल गायब हो गए हैं अब उनके सिर पर नए बाल उग आएंगे. क्योंकि वैज्ञानिकों ने लैब में हेयर फॉलिकल्स को बनाने का दावा किया है. अब तक बाल गिरने के लिए उम्र या गलत खान-पान को दोषी माना जाता है लेकिन नए अध्ययन में बालों के झड़ने के लिए कुछ और चीजों को दोषी माना गया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इस अध्ययन से भविष्य में बाल उगाने के द्वार खुलेंगे और गंजेपन का इलाज और हेयर लॉस का निदान किया जा सकेगा. इससे नई दवा भी विकसित की जा सकती है.

हेयर फॉलिकल्स ट्यूब की तरह स्किन पोर होते हैं जो शाफ्ट और बालों की जड़ों से बंद रहते हैं. एक हेल्दी व्यक्ति के सिर पर 80 हजार से 1.20 लाख बाल होते हैं. वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि प्रत्येक हेयर फॉलिकल्स को घेरने वाली मांसपेशियां बालों के झड़ने और पुनर्जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस मसल्स को डर्मल शीथ कहते हैं. यह शरीर के अन्य मसल्स से अलग होते हैं. यह नियंत्रण में नहीं रहते. न्यूयॉर्क के इकान्ह स्कूल ऑफ मेडिसीन के शोधकर्ताओं ने चूहों में डर्मल शीथ की भूमिका पर अध्ययन किया है. उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि ये मसल्स शारीरिक रूप से हेयर फॉलिकल्स के पुनर्जनन को प्रोत्साहित करते हैं.

वैज्ञानिकों ने पाया कि जब यह संकुचित होता है, तब डर्मल शीथ पुनर्जनन प्रक्रिया शुरू करने के लिए हेयर फॉलिकल्स को निचोड़ता है. इसी समय फॉलिकल्स के अंदर डर्मल पैपेलिया सेल्स स्किन से बाहर निकलते हैं और नए बाल को उगाने की प्रक्रिया शुरू होती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि यही संकुचन मशीनरी इंसान के हेयर फॉलिकल्स को नियंत्रित करता है. यानी अगर हेयर फॉलिकल्स के चारो ओर मसल्स को संकुचित होने से रोक दिया जाए तो इससे हेयर फॉलिकल्स के पुनर्जनन को भी रोका जा सकता है. इसका मतलब यह हुआ है कि नए बालों को उगाने के लिए हेयर फॉलिकल्स के मसल्स का संकुचित होना जरूरी है.

लैब में बनाया नया हेयर फॉलिकल्स
इसी सिद्धांत के आधार पर पहली बार वैज्ञानिकों ने पूरी तरह से मैच्योर फंक्शनल चूहे के हेयर फॉलिकल्स को लैब में विकसित किया है. यानी जीवित प्राणि के शरीर से बाहर पहली बार वैज्ञानिकों को हेयर फॉलिकल्स बनाने में सफलता मिली है. हेयर फॉलिकल्स हेयर शाफ्ट को प्रोडयूज करता है जो 23 दिनों के अंदर 3 मिलीमीटर बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उन्होंने जो कल्चर्ड हेयर फॉलिकल्स विकसित किया है वह हेयर ग्रोथ के बायोलॉजी और पिगमेंटेशन को समझने में बहुत काम आएगा. इससे नई दवा बनाने का रास्त साफ होगा.

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