उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

भस्मारती की आनलाईन बुकिंग में इस माह के लिए जगह नहीं

  • भीड़ बढऩे के साथ ही महाकाल में आफलाईन और वीआईपी प्रोटोकाल अनुमति के लिए जद्दोजहद बढ़ी

उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में इन दिनों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। इसी के चलते महाकाल की तड़के 4 बजे होने वाली भस्मारती के लिए ऑनलाईन बुकिंग भी इस महीने के अंत तक फुल चल रही है। ऐसे में ऑफलाईन के साथ-साथ वीआईपी और प्रोटोकाल कोटे से अनुमति लेने की जद्दोजहद बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर समाप्त होने के बाद से ही महाकालेश्वर मंदिर में कोरोना प्रोटोकाल के तहत लगाए गए सारे प्रतिबंध एक-एक कर हटाए जा चुके हैं। हालात सामान्य होने पर सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं का प्रवेश आरंभ किया गया था। इसके बाद भस्मारती में भी श्रद्धालुओं के प्रवेश की अनुमति शुरु कर दी गई थी। इतना ही नहीं पिछले महीने मंदिर समिति ने दोपहर के समय आम श्रद्धालुओं के लिए भी 1 बजे से लेकर 4 बजे तक गर्भगृह में प्रवेश कर दर्शन करने की इजाजत दे दी थी।


भस्मारती में श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरु होने के बाद से ही ऑनलाईन और ऑफलाईन अनुमति जारी होने लगी थी। ऑनलाईन अनुमति के लिए महाकालेश्वर मंदिर की वेबसाइट पर बुकिंग की जाती है, जबकि ऑफलाईन अनुमति के लिए मंदिर समिति ने इसके लिए अलग से काउंटर स्थापित कर रखा है। महाकाल मंदिर समिति द्वारा प्रतिदिन भस्मारती दर्शन के लिए कुल 1800 श्रद्धालुओं को अनुमति जारी की जाती है। इनमें 400 अनुमतियाँ प्रतिदिन ऑनलाईन बुकिंग के जरिये दी जाती है, जबकि ऑफलाईन काउंटर से 550 अनुमतियाँ रोज जारी होती है। इसके अलावा 850 लोगों को प्रतिदिन वीआईपी और प्रोटोकाल व्यवस्था के जरिये भस्मारती में प्रवेश दिया जाता है। इधर गर्मी की छुट्टियाँ शुरु होते ही महाकालेश्वर मंदिर की वेबसाईट पर भस्मारती की ऑनलाईन बुकिंग के सभी स्लाट इस महीने के अंत तक बुक हो चुके हैं। ऐसे में बाहर से आ रहे श्रद्धालुओं को भस्मारती दर्शन के लिए ऑफलाईन अनुमति प्राप्त करने के लिए जतन करने पड़ रहे हैं। ऑनलाईन बुकिंग फुल हो जाने के कारण अब ज्यादातर लोग ऑफलाईन या फिर वीआईपी अथवा प्रोटोकाल कोटे से भस्मारती में शामिल होने के प्रयास कर रहे हैं। भस्मारती की ऑनलाईन बुकिंग फुल हो जाने के बाद महाकालेश्वर मंदिर में दलाल सक्रिय हो गए हैं। पिछले दिनों भी मंदिर प्रशासक ने तीन दलालों को पकड़ा था। इस कार्रवाई के बाद भी मंदिर में रुपए लेकर दर्शन कराने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है।

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