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शिप्रा को शुद्ध करने की जिम्मेदारी अब तीन कलेक्टरों की.. इंदौर कलेक्टर को कहा सांवेर में स्टाप डेम बनाना जरूरी

  • कल दोपहर बाद देवास, इंदौर के कलेक्टरों को उज्जैन बुलाया-ट्रीटमेंट प्लांट भी सांवेर में ही बनाने के निर्देश

उज्जैन। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन सहित इंदौर और देवास के कलेक्टरों को शिप्रा को शुद्ध करने की जवाबदारी दी है और कल एकाएक बुलाई बैठक में कहा कि इंदौर, देवास का गंदा पानी कान्ह के माध्यम से उज्जैन की शिप्रा में मिल रहा है और भविष्य में कान्ह का नाम नहीं आना चाहिए..आपने कहा कि सिंहस्थ से पूर्व शिप्रा का पानी शुद्ध करना प्राथमिकता है।



शिप्रा में लगातार सीवरेज एवं नालों का गन्दा पानी मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिये विशेषज्ञों की राय ली जाए। गन्दा पानी शिप्रा में जाने से कैसे रोका जाए, इसके लिए अधिकारी प्लान बनाकर रखें। मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्दे पानी के नाले एवं सीवरेज का पानी को रोकने के लिये सांवेर, रामवासा, पंथपिपलई, राघौपिपल्या में स्टापडेम बनाया जाए और यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाए। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ हुए पानी का उपयोग किसान सिंचाई हेतु करें, इसके लिए किसानों को समझाईश भी दी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर हाल में गन्दा पानी शिप्रा में जाने से रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि साल दो साल में नई कॉलोनियां भी डेवलप होती हैं। वहां के सीवरेज के पानी की निकासी भी पर्याप्त व्यवस्था की जाए। वह पानी किसी भी स्थिति में शिप्रा नदी में न मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टापडेम का रखरखाव, मरम्मत का कार्य एवं आवश्यकता पडऩे पर उसकी ऊंचाई बढ़ाने का काम प्राथमिकता से किया जाए। बैठक में बताया गया कि कान्ह नदी पर पक्का स्टापडेम बनाने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदावल में पम्पिंग स्टेशन है। पानी को स्टापडेम की ओर डायवर्ट किया जाए। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सांवेर पर ही गन्दे पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट एवं स्टापडेम बनाकर कंट्रोल कर लें तो शिप्रा शुद्ध रहेगी। उन्होंने कहा कि शहर में टाटा प्रोजेक्ट अपना कार्य समय पर पूरा नहीं कर रही है, इसके लिए उसके कामों की फिर से समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि नृसिंह घाट में किसी भी स्थिति में गन्दगी इक_ी न हो, अन्यथा वह रामघाट तक प्रवाहित होती है। गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउण्ड को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ही जगह कचरा डम्प होने से आसपास के पांच गांव में पेयजल पीने योग्य नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में नई-नई टेक्नालॉजी आ गई है। आवश्यकता है कि नई टेक्नालॉजी के द्वारा हम कचरा अपशिष्ट प्रबंधन करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में नगर निगम के अपशिष्ट पदार्थ एवं इण्डस्ट्री के गन्दे पानी को रोकने का प्लान तैयार करें। उन्होंने इन्दौर संभागायुक्त मालसिंह को निर्देश दिये कि वे इस संबंध में एक कार्ययोजना बनाएँ। इस दौरान रूद्र सागर में मिलने वाले नाले, नई कॉलोनियों में पानी निकासी की व्यवस्था के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी दी। गन्दे नालों के पानी की रोकथाम के लिये छोटे-छोटे स्टापडेम बनाने की आवश्यकता है।

तो क्या अब भविष्य में नर्मदा का पानी शिप्रा में नहीं आएगा
अभी विशेष अवसरों पर नर्मदा का पानी जनरेटरों और पंपों के माध्यम से उज्जैन में लाया जा रहा था लेकिन शिप्रा के पानी को ही शुद्ध करने का अभियान मुख्यमंत्री ने शुरु किया है तथा नर्मदा का पानी लाने का कार्य अत्यंत महंगा है और ऐसा लगता है कि राज्य सरकार इस खर्च को भविष्य में नहीं उठाएगी।

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