नई दिल्ली। भारत (India) के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को अपने कर्मचारियों की भर्ती में आरक्षण (Reservation in Recruitment) देने की घोषणा की है। यह ऐतिहासिक कदम पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Former Chief Justice DY Chandrachud) और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai) के नेतृत्व में उठाया गया है। 3 जुलाई को जारी एक राजपत्र अधिसूचना में बताया गया कि अनुच्छेद 146(2) के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए 1961 के सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स (सेवा और आचरण की शर्तें) नियमों में संशोधन किया गया है।
संशोधित नियम 4A के अनुसार, “प्रत्यक्ष भर्ती में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), दिव्यांग, पूर्व सैनिक और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के लिए आरक्षण भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अधिसूचनाओं और आदेशों के अनुसार लागू किया जाएगा।”
अब तक क्या था?
अब तक सुप्रीम कोर्ट की कर्मचारियों की नियुक्तियों में केवल SC/ST के लिए आरक्षण की व्यवस्था थी। OBC के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था। यह पहली बार हुआ है कि OBC वर्ग के उम्मीदवारों को भी न्यायालय की स्टाफ नियुक्तियों में अवसर मिलेगा। नई आरक्षण व्यवस्था पोस्ट आधारित होगी न कि रिक्ति आधारित। यह प्रणाली 1995 के सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के प्रसिद्ध आर.के. सभरवाल बनाम पंजाब राज्य फैसले पर आधारित है।
इस फैसले में कहा गया था कि आरक्षण पोस्ट के अनुसार तय होना चाहिए, न कि सालाना रिक्तियों के आधार पर। प्रत्यक्ष भर्ती और प्रमोशन के लिए अलग-अलग रोस्टर होने चाहिए। एक बार कोई पोस्ट किसी आरक्षित श्रेणी को आवंटित हो जाए, तो वह स्थायी रूप से उसी श्रेणी की बनी रहेगी, भले ही रिटायर हो जाए।
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