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‘ममी’ के लिए ईरान से लड़ बैठा पाकिस्तान, पोल खुलने पर हुई इंटरनेशनल बेइज्जती

डेस्क: प्राचीन मिस्र में मरे हुए लोगों के शरीर पर लेप लगाकर उन्हें ममी बना दिया जाता था. बताया जाता है कि यह प्रथा सिर्फ मिस्र तक की सीमित थी. ऐसे में जब साल 2000 में पाकिस्तान में एक कथित ममी मिली, तो वो अंतरराष्ट्रीय खबर बन गई. पाकिस्तान दुनियाभर में ख्याती बटोरने लगा, लेकिन जब सच सामने आया तो पाकिस्तान की भारी फजीहत हो गई.

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के एक घर में पाकिस्तानी पुलिस ने ममी की खोज की थी. जब घर के मालिक ने ममी के बदले मोटी रकम मांगी, तो ममी को पुरातात्विक खजाने के रूप में जब्त करके कराची ले आया गया. शुरूआती जांच में एकस्पर्ट्स ने ममी को फारसी राजा जेरक्सेस की बेटी घोषित कर दिया. लेकिन बाद में असल बात कुछ और ही निकली. आइए जानते हैं कि कैसे एक कथित ममी की वजह से पाकिस्तान ईरान से लड़ बैठा.

पाकिस्तान ने की घोषणा
कथित ममी की खोज होने के बाद पाकिस्तानी पुलिस ने दो शख्स को हिरासत में लिया. एक जो ममी बेच रहा था और दूसरा वो जिसके पास से ममी मिली. पूछताछ में पता चला कि उस शख्स को ये ममी एक ईरानी ने बेची थी. बाद में ममी को नेशनल म्यूजियम ऑफ कराची ले जाया गया. ममी एक लकड़ी के ताबूत में थी, जिसे सोने के मुखौटे और मुकुट से सजाया गया था. इस पर एक सोने की ब्रेस्टप्लेट लगी हुई थी जिसपर लिखा था, ‘मैं महान राजा जेरक्सस की बेटी हूं… मैं रोडुगुने हूं’.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की गई कि ये ममीकृत अवशेष लगभग 600 ईसा पूर्व की एक फारसी राजकुमारी के हैं. साथ ही दावा किया गया कि मिस्र की इस राजकुमारी की शादी एक फारसी राजकुमार से हुई थी. उस समय यह एक अद्वितीय पुरातात्विक खोज थी. ऐसा पहली बार था जब मिस्र से इतनी दूर पाकिस्तान में किसी ममी को खोज हुई थी.


ईरान ने दी इंटरपोल की धमकी
अंतरारष्ट्रीय मामला बनने पर कथित ममी पर अलग-अलग देशों ने अपना-अपना दावा करना शुरू कर दिया. ममी बलूचिस्तान से मिली थी, जिसका बॉर्डर अफगानिस्तान से मिलता था. इस तर्क पर तालिबान ने हजारों साल पुरानी लाश पर अपना दावा पेश किया. जब ममी के पर्शिया से सम्बंध की बात सामने आई, तो ईरान ने ममी को उसे सौंपने के लिए कहा. ममी को पाने के लिए ईरान ने यूनेस्को और इंटरपोल तक जाने की धमकी दे दी थी.

पाकिस्तान ने इन सभी दावों को दरकिनार कर दिया. उलटा वहां के अधिकारियों ने ब्रिटिश विशेषज्ञों से सलाह लेने भी शुरू कर दिया कि ममी को सर्वोत्तम तरीके से कैसे प्रदर्शित करा जाए. लेकिन जैसे-जैसे ममी की जांच आगे बढ़ी, उस लाश की प्रामाणिकता पर सवाल उठने लगे.

ममी की असलियत
बारीकी से जांच करने पर पता चला कि ताबूत की नक्काशी लेड पेंसिल से की गई है. शव के सीटी स्कैन में पता चला कि लाश का दिल, फेफड़े और दिमाग निकाल लिया गया है. जबकि, मिस्र के लोग मानते थे कि दिल में आत्मा का वास होता है और दिल मौत के बाद की यात्रा के लिए जरूरी होता है. इसके अलावा ताबूत के ब्रेस्टप्लेट के शिलालेख पर व्याकरण की त्रुटियां थी. जो लिखा हुआ था वो भी प्राचीन भाषा में नहीं था.

थोड़ी और जांच की गई तो सामने आया कि वो शव किसी राजकुमारी का नहीं बल्कि एक वयस्क महिला का है. रेडियोकार्बन डेटिंग से पता चला कि महिला की मौत 1996 के आसपास हुई थी. यह मौत भी प्राकृतिक मौत नहीं थी. स्कैन में देखा गया कि शव की रीढ़ की हड्डी टूटी हुई है. खोज के 6 महीने बाद ममी का असली सच दुनिया के सामने था. अप्रैल 2001 में पाकिस्तानी आर्कियोलोजिस्ट ने स्वीकार किया कि ममी नकली है.

जब ममी की असलियत सामने आई तो पाकिस्तानी पुलिस ने हत्या की जांच शुरू कर दी. लेकिन उन्हें मामले में कोई सफलता नहीं मिली. 2008 में जाकर एक फाउंडेशन ने विधिवत तरीके से उस महिला का अंतिम संस्कार किया. भले ही इस खोज ने इतिहास के राज नहीं खोले, लेकिन इस खबर ने पाकिस्तान में चल रहे नकली ममी के काले बाजार की पोल खोल दी.

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