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पाकिस्तानः चीनी कंपनियों को द्वीप देने की तैयारी, सिंध के लोगों में नाराजगी

नई दिल्ली। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इन दिनों दो छोटे द्वीपों को लेकर सियासत उबल रही है। आमने-सामने हैं प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाली केंद्रीय सरकार और सिंध प्रांत की सियासी पार्टियां। अचानक इन दो द्वीपों का नियंत्रण अपने हाथ में लेने वाले सरकारी अध्यादेश और देश में नया द्वीप विकास प्राधिकरण बनाने वाले फरमान को लेकर लोगों में खासा गुस्सा है। नाराजगी के साथ ही आशंकाएं हैं कि इन द्वीपों को इमरानी निजाम चीनी कंपनियों के आगे रेवड़ियों की तरह पेश करने की तैयारी कर चुका है।

पाकिस्तान अगर भुंडर और डिंगी या बंडल द्वीपों को चीनी कंपनियों के नजराने में पेश करता है तो इससे न केवल सिंध के लोगों की फिक्र बढ़ती है बल्कि भारत के लिए भी चिंता के नए सबब बनते हैं, क्योंकि इन दोनों द्वीपों से कच्छ में भारतीय सीमा तक की दूरी 200 किमी से भी कम होगी। यह दोनों द्वीप अरब सागर में भारत-पाक सीमा के सरक्रीक इलाके से करीब है जिसको लेकर दोनों मुल्कों में लंबे समय से विवाद चल रहा है। जाहिर है इलाके में कारोबार के बहाने चीनी कंपनियों की मौजूदगी नई परेशानी वाला पैंतरा होगी।

हालांकि भारत की परेशानी बढ़ाने के लिए पाकिस्तान और चीन की सांठ-गांठ कोई नई बात नहीं है। दरअसल चीन की महत्वाकांक्षी चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर परियोजना में पाक के पिछड़े इलाकों के विकास से ज्यादा जोर रणनीतिक पैठ बनाने की कवायद है। इसके सहारे चीनी ड्रेगन ने बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से लेकर पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में गिलगित बाल्टिस्तान इलाके के स्कार्दू तक अपने पैर पसार लिए हैं।

अक्टूबर की शुरुआत में पाक सरकार ने गत माह अचानक एक अध्यादेश जारी कर दिया जिसमें केंद्र सरकार के नियंत्रण में नए द्वीप विकास प्राधिकरण के स्थापना का प्रावधान किया गया। करीब 25 पन्नों के इस अध्यादेश में यह भी साफ कर दिया गया कि इसकी स्थापना को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती। इतना ही नहीं पाक सरकार ने इस बोर्ड की अगुवाई के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया जिसमें सिविलियन अधिकारियों के अलावा सेना के मौजूदा और रिटायर्ड अधिकारियों से भी की तरह अवेदन आमंत्रित किए गए थे।

इमरान सरकार के इस कदम से सिंध में दबदबा रखने वाली पीपीपी जैसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां भी विरोध कर रही हैं। वहीं सिंध तरक्की पसंद पार्टी STTP जैसे स्थानीय दल और जिए सिंध फोरम सरीखे सिंधी राष्ट्रवादी संगठन सड़कों पर उतरकर विरोध जता रहे हैं। सिंध के सियासी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 14, 17 और 25 अक्टूबर को सिलसिलेवार बड़े प्रदर्शनों को आह्वान किय है जिसमें पंजाब के लिए जाने वाली सड़कों को रोका जाएगा।

हालांकि पाकिस्तान सरकार की दलील है कि पाकिस्तान द्वीप विकास प्राधिकरण का विकास टापुओं को निवेश जोन की तरह विकसित करने के लिए किया गया है। सिंध इलाके के गवर्नर इमरान इस्माइल दावा करते हैं कि अकेले बंडल द्वीप दुबई की तरह बन सकता है और 50 अरब डॉलर तक का निवेश आकर्षित कर सकता है। जाहिर है इस द्वीप को विकसित करने की न तो पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की हैसियत है और न ताकत। ऐसे में उसका एकमात्र सहारा चीन और उसकी कंपनियां हैं जो धीरे-धीरे पाकिस्तान के ऊर्जा क्षेत्र से लेकर ढांचागत निर्माण के अहम कामकाज को नियंत्रित करती हैं।

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