भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

स्पेशल एक्सप्रेस बनकर दौड़ रहीं पैसेंजर

  • कोरोना की मार, आम आदमी पर भार

भोपाल। कोरोना की मार के कारण घाटे में चल रहे रेलवे ने अपनी भरपाई करने के लिए आम आदमी पर भार बढ़ा दिया है। कोरोना काल के पहले तक चलने वाली नियमित ट्रेनों के अनारक्षित कोच में जो किराया लगता था अब रेलवे स्पेशल एक्सप्रेस के नाम पर उन्हीं कोचों में 1.7 फीसदी ज्यादा किराया और रिजर्वेशन शुल्क 30 रुपये, स्पेशल ट्रेन शुल्क 30 रुपये सहित अन्य शुल्क भी वसूल रहा है। इतना ही नहीं रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों को भी अब स्पेशल एक्सप्रेस बनाकर चलाना शुरू कर दिया है। यानी इनका किराया भी पहले जहां 50 रुपये लगता था वहीं अब आरक्षित डिब्बे में बैठने के भी दो गुना पैसा देने होंगे।

घाटे की भरपाई कर रहा रेलवे
लॉकडाउन के दौरान बंद ट्रेनों में से रेलवे ने धीरे-धीरे कर 70 फीसदी ट्रेनों को शुरू कर दिया है। सभी नियमित ट्रेनों को स्पेशल एक्सप्रेस बनाकर दौड़ाया जा रहा है। दरअसल कोरोना काल में ट्रेने बंद होने से रेलवे को अरबों का घाटा हुआ था। अब इसी घाटे की भरपाई की जा रही है लेकिन इसमें आम आदमी भार तले दब गया है। दरअसल ट्रेनों में सफर करने वाला एक वर्ग आम आदमी का भी होता है जो या तो एक्सप्रेस ट्रेन के अनारक्षित कोच में सफर करता है या फिर पैसेंजर ट्रेनों में ही बैठता है। लेकिन अब ऐसे लोगों को भी अगर सफर करना है तो उन्हें स्पेशल एक्सप्रेस का ही किराया चुकाना होगा।

सभी रियायतें बंद
लॉकडाउन के पहले तक रेलवे ट्रेनों में 238 प्रकार के रियायतें देता था लेकिन लॉकडाउन के दौरान ट्रेनों को बंद करने के बाद एक बार फिर से जब शुरू किया जा रहा है तो सभी प्रकार के रियायतें भी बंद कर दिए गए हैं। इसके अलावा यात्रियों को जो सुविधाएं दी जाती थीं वे भी बंद हैं।

30 से 35 रुपये बढ़ा किराया
स्पेशल एक्सप्रेस बनकर जिन पैसेंजर ट्रेनों को चलाया जा रहा है उनका किराया अनारक्षित डिब्बे में ही 30 से 35 रुपये तक बढ़ा दिया गया है। यदि इन्हीं ट्रेनों में कार चेयर बुक कराने पर किराया 5 गुना से ज्यादा लगेगा। इस तरह चलाई जा रही ट्रेनों में सबसे ज्यादा समस्या मजदूर वर्ग की है। जो मजदूर वर्ग पहले 10 रुपये की टिकट खरीदकर सिहोरा और श्रीधाम से मजदूरी करने शहर आते थे उन्हें अब 45 रुपये देना होगा।

फार्म भरना दूसरी समस्या
स्पेशल एक्सप्रेस बनकर चल रही ट्रेनों में भी टिकट लेते समय रिजर्वेशन फार्म भरना जरूरी होगा। इस फार्म में पता के साथ पिन कोड नंबर भी लिखना होता है। अनपढ़ मजदूर वर्ग के सामने टिकट लेने से पहले इस फार्म को भरने की समस्या होगी।

छोटे स्टेशनों में नहीं मिलेगी टिकट
पूर्व की पैसेंजर ट्रेनें फिर से शुरू होने पर उन सभी स्टेशनों पर रुकेंगी जहां पहले रुकती थीं। लेकिन जहां रिजर्वेशन की सुविधा नहीं है वहां ट्रेन के रुकने के बाद भी टिकट नहीं दी जाएगी। ऐसे में गांवों के लोगों का सफर करना मुश्किल होगा या फिर उन्हें बिना टिकट ही ट्रेन में चढऩा पड़ेगा।

 

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