- तहसीलदार बेरवा ने कार्यवाही के लिए एसडीएम को भेजा प्रतिवेदन
- 2 तहसीलदारों ने नामांतरण निरस्त किया, पटवारी ने फर्जी कागजातों से रिकॉर्ड पर चढ़ाया
विजय सिंह जाट गुना। जिस सरकारी पट्टे की भूमि के नामांतरण के प्रकरण पूर्व में पदस्थ तहसीलदार मोहित जैन व तहसीलदार निर्मल सिंह राठौर के द्वारा निरस्त कर दिए गए थे उनमें अब नया पेंच सामने आया है, जिस ठहराव प्रस्ताव क्रमांक से उक्त पट्टे की जमीनों के नामांतरण स्वीकृत किए गए थे। उनके विषय में जब कलेक्टर से हुई शिकायत के बाद जानकारी वर्तमान तहसीलदार गौरी शंकर बैरवा ने जानकारी जुटाई तो वह फर्जी पाए गए मामले की जानकारी एसडीएम को प्रस्ताव के माध्यम से भेजी है जिसमें दो खरीदारों के साथ पटवारी की भूमिका संदिग्ध बताई गई है, फर्जी कागजातों के सहारे रिकॉर्ड में नामांतरण चढ़ा दिया गया अब पट्टा निरस्त होने के साथ संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर की तैयारी चल रही है।
2 तहसीलदारों ने निरस्त किया, पटवारी ने रिकार्ड पर चढ़ाया
पट्टे की जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण का प्रकरण पहले पूर्व तहसीलदार मोहित जैन की न्यायालय में लगाया गया जिसे निरस्त किया गया आदेश में लिखा गया कि प्रकरण क्रमांक 27/अ/6 2019-20 इस न्यायालय द्वारा पूर्व में खारिज हो गया है, प्रकरण वादग्रस्त भूमि के संबंध में मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165/7(ख) आकृष्ट होती है, जिसकी अधिकारिता इस न्यायालय को नहीं है, आवेदन पत्र निरस्त किया जाता है, 20 फरवरी 2020 को यह आदेश किया गया। इसी प्रकार तहसीलदार निर्मल सिंह राठौर के द्वारा प्रकरण क्रमांक 19/अ-6/ 2021-22 में दिनांक 03 जून 21 को आदेश किया गया कि भूमि का नामांतरण ग्राम सभा प्रस्ताव क्रमांक 7 हो जाने से आवेदन पत्र इसी स्तर पर समाप्त किया जाता है। तत्कालीन पटवारी प्रेमसिंह पटेलिया के द्वारा फर्जी पंचायत के ठहराव प्रस्ताव के आधार पर नामांतरण कंप्यूटर में इंद्राज कर दिया हालांकि अब कलेक्टर को हुई शिकायत के बाद जांच में मामला उजागर हो गया है।
एसडीएम को प्रस्ताव, दोषियों पर एफआईआर! जमीन होगी सरकारी घोषित
सरकारी जमीन के रजिस्ट्री नामांतरण मामले में शिकायत के बाद बमोरी तहसीलदार ने जांच की मामले में विगत 1 दिसंबर को एसडीएम को भेजी रिपोर्ट में लिखा गया कि ग्राम पंचायत बमोरी से प्रस्ताव क्रमांक 19 दिनांक 02 अक्टूबर19 एवं 07 15 जनवरी 2020 के संबंध में जानकारी लिए जाने पर ग्राम पंचायत ने बताया कि उनके द्वारा कोई ठहराव प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है जिससे यह सिद्ध होता है कि तत्कालीन पटवारी प्रेमसिंह पटेलिया ने क्रेता रामनिवास पुत्र हरकिशन जाति मीणा एवं रमेश पुत्र मोहनलाल सहरिया ने मिलकर कूट रचना कर फर्जी कागजात ग्राम पंचायत बमोरी के ठहरा प्रस्ताव तैयार कर प्रकरण में भूमि खाते की होना बताकर गलत रिपोर्ट पेश की जब न्यायालयों से प्रकरण खारिज हो गए तो उन्होंने इन्हीं कागजातों के सहारे राजस्व अभिलेख में अमल कर दिया जो कि गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। सूत्र बताते हैं कि तहसीलदार बेरवा के प्रस्ताव के बाद अब पट्टे की जमीन जल्द ही सरकारी घोषित हो सकती है और मामले में लिप्त पटवारी व खरीदारों के खिलाफ एफआईआर भी प्रशासन करा सकता है।