नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisatiion) ने एक नोट में कहा कि फाइजर और मॉडर्न द्वारा विकसित टीकों के प्रारंभिक प्रयोगशाला अध्ययनों में भारत का म्यूटेंट वेरिएंट के खिलाफ प्रभावशीलता नहीं है।
WHO के नोट में मुख्य रूप से B.1.617 की विशेषताओं का उल्लेख किया गया था, जिसे इस सप्ताह की शुरुआत में “चिंता के प्रकार (variant)” के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसका अर्थ है कि यह म्यूटन्ट (Indian Mutation) आसानी से और तेजी से फैलने वाला है। इसने कई देशों में अपने पैर पसार लिए है। अक्टूबर में पहली बार महाराष्ट्र में पाए जाने के बाद अब तक 44 देशों में यह स्ट्रेन पाया गया है।
प्रयोगशाला के आंकड़ों से पता चलता है कि इन टीकों में म्यूटन्ट स्ट्रैन के खिलाफ कम प्रभावशीलता दिखाई दे सकती है, यह मुद्दा तब तक अनिर्णायक रहता है जब तक कि वास्तविक दुनिया में सेटिंग पर अध्ययन (studies in real-world setting) नहीं किया जाता है। वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी ने तीन अध्ययनों का हवाला दिया, जिनमें पता चलता है कि फाइजर और मॉडर्न (Pfizer and Moderna) द्वारा विकसित टीकों द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी (antibody) भारतीय स्ट्रैन पर बेअसर सामने आई है।
दूसरी ओर, इसने एक अन्य अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें दिखाया गया कि कोवैक्सिन (Covaxin) वायरस भारतीय म्यूटन्ट के खिलाफ काफी हद तक प्रभावी था।
फाइजर के टीके को सभी शीर्ष नियामकों से पात्रता प्राप्त हो गाई है लेकिन अभी तक कंपनी द्वारा मंजूरी के लिए आवेदन नहीं दिया गया है।