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पीएनबी घोटाला : मुंबई की अदालत ने चोकसी के करीबी धनेश शेठ को जमानत दी


मुंबई। यहां की एक निचली अदालत (Lower court) ने करोड़ों रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) धोखाधड़ी मामले में आरोपी तीन फर्मो के प्रबंध निदेशक और भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) के करीबी सहयोगी धनेश व्रजलाल शेठ (Dhanesh Sheth) को जमानत (Bail) दे दी है।


शेठ के वकील विजय अग्रवाल ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ‘न्यायाधीश के कंधे से गोली मारने’ की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई की ओर से पूरक आरोपपत्र दाखिल किया गया था, अदालत ने समन जारी किया था और इस साल 15 जून को संज्ञान लिया गया था।
उन्होंने तर्क दिया कि अदालत ने नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शेठ को भी समन जारी किया था और इस तरह के सम्मन के अनुसार वह पेश हुए और अदालत के समक्ष जमानत आवेदन दायर किया।
अग्रवाल ने जोरदार तर्क दिया कि मौजूदा मामले में जांच पूरी हो गई है और आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बिना आरोपपत्र दाखिल किया गया है, जिसमें दर्शाया गया है कि शेठ से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं थी।
अग्रवाल ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि किसी कंपनी का प्रतिनिधित्व तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि धारा 305 सीआरपीसी के तहत आवेदन दायर नहीं किया जाता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि तीन साल हो गए हैं, अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है और अब सीबीआई जज के कंधे से गोली चलाने की कोशिश कर रही है।
अग्रवाल ने कहा कि न्यायाधीश ने आरोपी व्यक्ति को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी।
यह आरोपी को एक और राहत देने के रूप में सामने आया है, क्योंकि गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के सहायक वित्त कार्यकारी नितिन प्रेम शाही और गीतांजलि ज्वेल्स के एजीएम अनन्य शिवरमन नायरपर भी मुख्य आरोपी के साथ पीएनबी से बिना मंजूरी के एलओयू जारी करने में सक्रिय रूप से शामिल होने का आरोप लगाया गया था। उन्हें 2018 में जमानत मिल गई थी, जबकि चोकसी अभी भी डोमिनिका में हिरासत में है।

पिछले महीने सीबीआई ने पीएनबी घोटाले में अपने पूरक आरोपपत्र में चोकसी पर आपराधिक साजिश, सबूत नष्ट करने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
चोकसी इस समय कैरेबियाई राष्ट्र में अवैध प्रवेश के आरोप में डोमिनिकन पुलिस की हिरासत में है। डोमिनिका हाईकोर्ट ने सोमवार को मेडिकल आधार पर उसे जमानत दे दी थी।
सीबीआई के आरोपपत्र से यह भी पता चला है कि चोकसी ने अपने सहयोगियों से कहा था कि वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ मुश्किल में पड़ सकते हैं।
यह चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी के खिलाफ मामला दर्ज होने के महीनों पहले जनवरी 2018 में भारत से उसके भाग जाने के दो महीने पहले की बात है।
चार्जशीट में कहा गया है कि चोकसी ने 165 एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) जारी करने के लिए पीएनबी के कर्मचारियों के साथ साजिश रची थी, न कि 142 एलओयू, जैसा कि बैंक ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है।
सीबीआई की चार्जशीट में दावा किया गया है कि इनमें से कोई भी एलओयू बैंक के कोर सिस्टम में नहीं डाला गया, क्योंकि चोकसी और उसके सहयोगियों ने बैंक कर्मचारियों को रिश्वत दी थी।
सीबीआई ने यह भी पाया कि 2014 और 2016 के बीच मेहुल चोकसी की फर्मो की ओर से विदेशी बैंकों को 347 एफएलसी (विदेशी साख पत्र) जारी किए गए थे।
चार्जशीट में कहा गया है कि इनमें से 88 एफएलसी 2014 में जारी किए गए थे, जिसके बाद 2015 में 143 और 2016 में 116 जारी किए गए थे।
एफएलसी चोकसी की फर्मो गिल्ली इंडिया लिमिटेड, गीतांजलि एक्सपोर्ट्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड और अस्मी ज्वेलरी इंडिया लिमिटेड के पक्ष में जारी किए गए थे।

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