नई दिल्ली। देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिला न्यायपालिका (District Judiciary) के 800 से अधिक प्रतिभागियों वाले जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference ) में आज राष्ट्रपति (President) द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) भी शामिल होंगी। राष्ट्रपति सम्मेलन को संबोधित करने के अलावा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के ध्वज और प्रतीक चिह्न का अनावरण भी करेंगी। इससे एक दिन पहले सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। पीएम मोदी के अलावा सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी सम्मेलन को संबोधित किया था।
महिलाओं की सुरक्षा पर बोले पीएम मोदी
जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा, महिलाओं खिलाफ अपराध और बच्चों की सुरक्षा पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से न्याय मिलेगा, उतनी जल्दी आधी आबादी को सुरक्षा का भरोसा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, न्याय में देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं। पिछले 10 वर्षों में देश ने न्यायिक संरचना के विकास के लिए लगभग 8 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। पिछले 25 साल में जितनी राशि न्यायिक संरचना पर खर्च की गई, उसका 75 प्रतिशत पिछले 10 वर्षों में ही हुआ है।
जिला अदालतें न्यायपालिका की रीढ़, इन्हें अधीनस्थ कहना बंद करें: सीजेआई
सम्मेलन के पहले दिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला अदालतें कानून के शासन का महत्वपूर्ण घटक व न्यायपालिका की रीढ़ हैं। जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में सीजेआई ने कहा कि इनको अधीनस्थ कहना बंद करना आवश्यक है। सीजेआई ने कहा, न्याय की तलाश में जिला न्यायपालिका नागरिक के लिए पहला संपर्क बिंदु है। न्यायपालिका से नागरिकों को न्याय प्रदान करने की गुणवत्ता और परिस्थितियां यह निर्धारित करती हैं कि उन्हें न्यायिक प्रणाली पर भरोसा है या नहीं। इसलिए जिला न्यायपालिका से बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाने की अपेक्षा की जाती है और इसे न्यायपालिका की रीढ़ के रूप में वर्णित किया जाना उचित है। रीढ़ तंत्रिका तंत्र का मूल है। सीजेआई ने कहा, न्याय व्यवस्था की इस रीढ़ को बनाए रखने के लिए हमें जिला अदालतों को अधीनस्थ कहना बंद करना होगा।
प्रौद्योगिकी लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
सीजेआई ने कहा, आजादी के 75 साल बाद, अब समय आ गया है कि हम ब्रिटिश काल के एक और अवशेष-अधीनता की औपनिवेशिक मानसिकता को दफना दें। 2023-2024 में अदालती रिकॉर्ड के 46.48 करोड़ पन्नों को स्कैन या डिजिटाइज किया गया है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के साथ मिलकर ई-समिति की ओर से प्रबंधित राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड न सिर्फ वकीलों के लिए, बल्कि नागरिकों के लिए भी डाटा का खजाना है। बकौल चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ , ई-कोर्ट परियोजना के तहत 3,500 से अधिक न्यायालय परिसरों और 22,000 से अधिक न्यायालय कक्षों को कंप्यूटरीकृत किया गया। जिला न्यायपालिका ने दिन-प्रतिदिन के मामलों में प्रौद्योगिकी को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश की जिला अदालतों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 2.3 करोड़ मामलों की सुनवाई की है। सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का संविधान में सम्मत हर भाषा में अनुवाद किया जा रहा है और 73,000 अनुवादित फैसले सार्वजनिक हो चुके हैं।
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