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प्रधानमंत्री ने की कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइप लाइन देश को समर्पित

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइप लाइन का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोच्चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइप लाइन एक राष्ट्र, एक गैस ग्रिड के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

इस पाइप लाइन के लिए केरल और कर्नाटक के लोगों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पाइप लाइन ने न सिर्फ दो राज्यों को जोड़ने का काम किया है बल्कि इससे देश के आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने इस पाइपलाइन के 10 लाभ गिनवाते हुए कहा कि यह पाइपलाइन दोनों राज्यों में इज ऑफ लिंविंग में बढ़ोत्तरी करने, गरीब, मध्यम वर्ग और उद्यमियों के व्यापार का खर्च कम करने, अनेक शहरों में सिटी गैस डिस्ट्रीव्यूशन का माध्यम बनने, सीएनजी आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम तैयार करने, कम खर्च में खाद बनाने में मदद करने, मैंगलुर रिफाइनरी को स्वच्छ ईधन देने, दोनों राज्यों में प्रदूषण कम करने में बड़ी भूमिका निभाने, पर्यावरण के लिए मददगार होने, पर्यावरण बेहतर होने से लोगों की सेहत में भी सुधार लाने और टूरिज्म को भी बढ़ावा देने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार और स्वरोजगार का एक नया ईको सिस्टम बहुत तेजी से विकसित होगा। फर्टिलाइजर, पेट्रोकेमिकल, बिजली उद्योग इससे लाभ मिलेगा।

देश की हजारों करोड़ विदेशी मुद्रा के खर्च को बचाएगी यह परियोजना
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पाइप लाइन का एक और बड़ा लाभ पूरे देश को होगा। देश की हजारों करोड़ विदेशी मुद्रा का खर्च बच जाएगा। कोप-21 के लक्ष्यों को लेकर जिस गंभीरता से देश आगे बढ़ रहा है, यह पाइप लाइन उसमें भी मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि पिछली शताब्दी में भारत जिस भी रफ्तार से चला, उसकी अपनी वजह रही हैं लेकिन इतना तय है कि आज का युवा भारत दुनिया पर छा जाने के लिए अधीर है। वो बेहद तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भारत ने पिछले छह सालों में अपनी स्केल और स्पीड भी बढ़ाई और स्कोप भी बढ़ाया। भारत की नई पीढ़ी तथ्यों के आधार पर तुलनात्मक रूप से विचार करती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में पहली इंटरस्टेट गैस पाइप लाइन साल 1987 में कमिशन हुई थी। इसके बाद 27 सालों में 15 हजार किलोमीटर पाइपलाइन बनी। आज 16 हजार किलोमीटर ज्यादा नई गैसपाइप लाइन पर काम चल रहा है। जितना काम 27 वर्षों में हुआ उससे ज्यादा काम उससे आधे समय में करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। भारत में पहला सीएनजी स्टेशन साल 1992 में शुरू हुआ था। साल 2014 तक हमारे देश में 900 से सीनएजी स्टेशन थे, जबकि पिछले 6 सालों में यह संख्या बढ़कर 1500 से अधिक हो गई है। आने वाले सालों में देश भर में सीएनजी स्टेशन की संख्या 10,000 तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इस पाइप लाइन से केरल और कर्नाटक के अनेक शहरों में 700 सीएनजी स्टेशन खोलने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि साल 2014 तक हमारे देश में 25 लाख पीएनजी कनेक्शन थे। आज देश में 72 लाख ज्यादा घरों में पाइप से गैस पहुंच रही है। साल 2014 तक 14 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे। 6 सालों में 14 करोड़ कनेक्शन दिए गए। उज्जवला योजना से 8 करोड़ कनेक्शन दिए गए हैं। एक बड़ी वजह रही कि कोरोना काल में रसोई गैस की किल्लत नहीं हुई। इस दौरान लोगों को करीब 12 करोड़ मुफ्त सिलेंडर मुहैया करवाए गए। उन्होंने कहा कि हमारे यहां केरोसिन को लेकर कितनी लंबी लंबी लाइन लगा करती थी। आज जब रसोई के लिए गैस आसानी से मिल रही है तो केरोसिन की किल्लत भी कम हुई है। आज देश के कई राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश खुद को केरोसिन मुक्त राज्य कर चुके हैं।

प्नधानमंत्री मोदी ने कहा कि हैदराबाद में विंड और सोलर एनर्जी पर रिन्यूबल एनर्जी प्लांट का काम हुआ है। इथेनॉल प्लानिंग को लेकर अगले दस सालों में 20 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है। देश वासी को पर्याप्त सस्ता, प्रदूषण रहित ईंधन मिलने के साथ हमारे समुद्री तटीय क्षेत्रों के विकास को लेकर भी सरकार का विजन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ब्लू इकोनोमी आत्मनिर्भर भारत का बड़ा स्रोत बनने वाला है। मल्टी मोडल कनेक्टिविटी पर हमारा फोकस है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लक्ष्य की दिशा में काम हो रहा है। कोस्टल इकोसिस्टम की सुरक्षा और समृद्धि जरूरी है। मछुआरों को डीप सी फिशिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये की मत्स्य संपदा योजना शुरू की गई है। इस योजना का लाभ केरल और कर्नाटक के लाखों मछुआरों को होने वाला है। दुनिया में सी वीड की मांग बढ रही है। सी वीड फार्मिंग के लिए किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा तो वो उतनी तेजी से विकास के पथ पर चलेंगे।

गेल इंडिया लिमिटेड ने किया है गैस पाइप लाइन का निर्माण
450 किलोमीटर की इस पाइप लाइन का निर्माण गेल इंडिया लिमिटेड ने किया है। इसकी परिवहन क्षमता 1.20 लाख मीट्रिक मानक घन मीटर प्रतिदिन है। यह कोच्चि (केरल) में लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) रीगैसिफिकेशन टर्मिनल से मंगलुरु (दक्षिणा कन्नड़ जिला, कर्नाटक) तक प्राकृतिक गैस ले जाएगी जबकि एर्नाकुलम, त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम, कोझिकोड, कन्नूर और कासरगोड जिलों से होकर गुजरेगी। परियोजना की कुल लागत लगभग 3,000 करोड़ रुपये थी और इसके निर्माण ने 12 लाख से अधिक मानव-दिवसीय रोजगार पैदा किया। पाइप लाइन बिछाना एक इंजीनियरिंग चुनौती थी क्योंकि पाइप लाइन के मार्ग के कारण 100 से अधिक स्थानों पर जल निकायों को पार करना आवश्यक था। यह क्षैतिज दिशात्मक ड्रिलिंग विधि नामक एक विशेष तकनीक के माध्यम से किया गया था।

इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला, मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के साथ केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे।

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