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काहिरा में स्थित मिस्र की ऐतिहासिक 11वीं सदी की अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने


काहिरा । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को काहिरा में स्थित (Based in Cairo) मिस्र (Egypt) की 11वीं सदी की ऐतिहासिक (Historic 11th Century) अल-हाकिम मस्जिद (Al-Hakim Mosque) का दौरा किया (Visited) । इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से जीर्णोद्धार किया गया है। मिस्र की अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे दिन मोदी मस्जिद पहुंचे जिसका जीर्णोद्धार करीब तीन महीने पहले ही पूरा किया गया है। मस्जिद में मुख्य रूप से जुमे (शुक्रवार) और दिन की सभी पांच ‘फर्ज़’ नमाज होती हैं।


प्रधानमंत्री को मस्जिद की दीवारों और दरवाजों पर की गई जटिल नक्काशी की सराहना की । मस्जिद का निर्माण 1012 में किया गया था। अल हाकिम मस्जिद काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है और शहर में दूसरी फातिमिया दौर की मस्जिद है। मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका प्रांगण 5,000 वर्ग मीटर में  है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मैडबौली से मुलाकात की, वहीं इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी और मिस्र के पीएम मुस्तफा मैडबौली ने काहिरा में राउंडटेबल बैठक की । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काहिरा में मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती शॉकी आलम से भी मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काहिरा में भारतीय प्रवासी बोहरा समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की।

इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को काहिरा के हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान का दौरा किया और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने कब्रिस्तान में शहीद भारतीय सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की और वहां रखी आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। इस कब्रिस्तान में हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक और हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक शामिल हैं।

हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक उन लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी, वहीं, हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक राष्ट्रमंडल देशों के उन 600 से अधिक जवानों की याद में बनाया गया है, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अदन में लड़ते हुए शहीद हो गए थे। हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान के रखरखाव का जिम्मा ‘कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन’ के हाथों में है। ‘कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन’ की वेबसाइट के मुताबिक, इस कब्रिस्तान में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए राष्ट्रमंडल देशों के 1,700 जवानों को भी दफनाया गया है. कब्रिस्तान में कई अन्य देशों के शहीद सैनिकों की कब्रें भी मौजूद हैं।

स्वेज नहर के दक्षिणी छोर पर स्थित मूल पोर्ट तौफीक स्मारक का उद्घाटन 1926 में किया गया था। ‘कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन’ की वेबसाइट के अनुसार, सर जॉन बर्नेट द्वारा डिजाइन किया गया मूल स्मारक 1967-1973 के इज़राइल-मिस्र संघर्ष के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था और इसे अंततः ध्वस्त कर दिया गया था। अक्टूबर 1980 में मिस्र में भारत के तत्कालीन राजदूत ने हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान में शहीद भारतीय सैनिकों के नाम वाले ‘पैनल’ से युक्त एक नये स्मारक का उद्घाटन किया था। पिछले साल अक्टूबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान में श्रद्धांजलि अर्पित की थी। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के निमंत्रण पर मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं। यह 26 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्र यात्रा है।

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