विदेश

पुतिन की बढ़ेगी मुश्किल, रूसी बॉर्डर पर जुटेंगे नाटो के 41 हजार सैनिक; होगा सबसे बड़ा जंगी अभ्यास

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन की जंग को डेढ़ साल हो गए, लेकिन यह बंद होने का नाम नहीं ले रही है। इसी बीच यूक्रेन की ओर से पश्चिमी देश और अमेरिका खड़े हो गए हैं। वहीं रूस की ओर उत्तर कोरिया व चीन हैं। ऐसी स्थिति में नाटो संगठन के देश शीत युद्ध के बाद सबसे बड़ा जंगी अभ्यास करने जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नाटो संगठन के ये देश रूस की सीमा पर करीब 41 हजार सैनिकों के साथ जुटेंगे और आने वाले समय में किसी भी नाटो कंट्री पर होने वाले रूसी हमले को नेस्तनाबूद करने का अभ्यास करेंगे। बताया जा रहा है कि यह अभ्‍यास साल 2024 की शुरुआत में होगा।

सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके देशों को सता रहा पुतिन का डर
इस जंगी अभ्यास के दौरान नाटो देश इस बात का आकलन करेंगे कि उनकी तैयारी कैसी है। इस अभ्‍यास को स्‍टीडफास्‍ट डिफेंडर नाम दिया गया है। दरअसल, यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद नाटो के कई छोटे देश सहमे हुए हैं जिनमें से कुछ तो पूर्व सोवियत संघ का हिस्‍सा रह चुके हैं। उन्‍हें पुतिन के हमले का डर सता रहा है।


नाटो की कोशिश है कि वह खुद को जंग के हालात के लिए तैयार रख सके, जिसके लिए वह जाना जाता है। फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस अभ्‍यास के दौरान 500 से 700 हवाई युद्धक मिशन आयोजित किए जाएंगे। इनमें 50 से ज्‍यादा युद्धपोत और 41 हजार सैनिक हिस्‍सा लेंगे। नाटो अधिकारियों ने बताया कि इस अभ्‍यास को रूसी गठबंधन के हमले का जवाब देने के लिए डिजाइन किया गया है।

जानिए क्या है नाटो की योजना?
इस जंगी अभ्यास में स्वीडन भी भाग लेगा। स्वीडन को हंगरी व तुर्की के विरोध के कारण नाटो में शामिल नहीं किया जा सका है। यह युद्धाभ्‍यास जर्मनी, पोलैंड और बाल्टिक सागर में फरवरी से मार्च के बीच किया जाएगा। नाटो ने नई ट्रेनिंग रणनीति बनाई है और अब हर साल दो बड़े युद्धाभ्‍यास किए जाएंगे। नाटो अब आतंकवाद विरोधी खतरे से निपटने की भी ट्रेनिंग देगा। ऐसे खतरे जो सीमा से दूर हैं।

40 हजार से बढ़ाकर नाटो 3 लाख करेगा सैनिकों की संख्या
पिछले साल नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा था कि नाटो के सैनिकों की संख्या को 40 हजार से बढ़ाकर 3 लाख तक किया जाएगा। ये सैनिक हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहेंगे। यही नहीं, नाटो अब रिएक्‍शन फोर्स तैयार कर रहा है जो रूस के किसी भी हमले का बहुत तेजी से जवाब दे सकेगा। बाल्टिक सागर से सटे देश लगातार नाटो से मांग कर रहे हैं कि वे पूर्वी मोर्चे पर अपनी सैन्‍य तैयारी को बढ़ाएं।

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