नई दिल्ली: राजस्थान ने सेम सेक्स मैरेज का विरोध किया है. इसके अलावा छह और राज्यों ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार के लिए उसे और समय की दरकार है. यह बात केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताई है. बता दें कि जिन राज्यों ने समलैंगिक विवाह को एग्जामिन करने के लिए समय मांगा है, उनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, असम और सिक्किम जैसे राज्य शामिल हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पिछले नौ दिनों से इस मुद्दे पर सुनवाई हो रही है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने इस मामलों को लेकर सभी राज्यों को चिट्ठी लिखी थी.
राजस्थान ने किया समलैंगिक विवाह का विरोध
राजस्थान ने इसका विरोध किया है जबकि बाकी राज्यों ने इसके लिए और समय की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगर किसी बच्चे की मां मर जाती है तो पिता मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी निभाता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि कानून के मुताबिक सिंगल पर्सन भी बच्चा कोद ले सकता है. वहीं अगर कोई समलैंगिंक जोड़ा बच्चा गोद लेना चाहता है तो कानून के मुताबिक उसे अपोजिट जेंडर वाले जोड़े होने चाहिए हैं तभी वे बच्चे को गोद ले सकते हैं.
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को लिखा था पत्र
बता दें कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मांग की थी कि समलैंगिक जोड़ों को भी बच्चे गोद लेने की अनुमति मिले. इससे पहले 19 अप्रैल की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि उसने इस मुद्दे को लेकर सभी राज्यों को पत्र लिखा है. इससे पहले इसने कोर्ट से कहा था कि इस बहस में सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को भी शामिल किया जाए. इससे पहले केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि पर्सनल लॉ के बिना स्पेशल मैरेज एक्ट को अलग से एक्सप्लेन करना सुप्रीम कोर्ट के लिए पॉसिबल नहीं है.