इंदौर। रेसीडेंसी क्षेत्र के सर्वेक्षण लगभग पूर्ण हो गया है। लगभग 95 प्रतिशत जमीन सरकारी मद में जहां दर्ज कर दी गई है, वहीं निजी संपत्ति का दावा कर रहे दावेदारों के पास 1959 का कोई रिकॉर्ड नहीं मिल सका है। हालांकि इस पर तहसीलदार मंथन कर रहे हैं। अगले हफ्ते से पहले प्रारूप प्रकाशन का काम शुरू हो सकता है, वहीं लीज पर संचालित हो रही संस्थाओं के नवीनीकरण और निरस्ती की कार्रवाई भी शुरू होगी।
रेसीडेंसी को अपनी पहचान दिलाने के लिए शुरू किया गया अभियान अब आखिरी चरण तक पहुंच गया है। लगभग सभी प्लाटधारकों की दस्तावेजों की जांच हो चुकी है। आजाद नगर, शुक्ल नगर सहित रेसीडेंसी के सभी क्षेत्रो को सरकारी मद में दर्ज किया जा चुका हैं। रेडियो कॉलोनी व कुछ इक्का-दुक्का क्षेत्र में निजी भूमि के दावे सामने आए हैं। जिनकी आर ओ आर एंट्री करने के साथ ही तीनों सेक्टर के तहसीलदार प्रत्येक प्लाटधारक की जानकारी एकत्रित कर रहे हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 10 मामलों में ही निर्णय लिया जाना बाकी है। बाकी सभी पर प्रशासन की स्थिति साफ हो चुकी है।
विकास प्राधिकरण और नजूल की भूमि का हुआ निर्णय
इस क्षेत्र में अधिकांश भूमि शासकीय मिली है। लेकिन विकास प्राधिकरण और नजूल की भूमि के सामने आई है। आरसीएमएस पोर्टल पर उनके नाम स्क्रोल में नहीं आने के कारण विभाग ने भोपाल पत्र लिखा है। जैसे ही उनके नाम पोर्टल पर सामने आएंगे यह जमीन भी उक्त विभागों के नाम पर दर्ज कर दी जाएगी। हालांकि कुछ लोगों ने कॉलोनी के माध्यम से की गई रजिस्ट्री भी प्रस्तुत की हैं। उक्त सभी रजिस्ट्री सन 1970 के बाद की सामने आई है किसी भी व्यक्ति ने सन 1959 या उससे पूर्व के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं। मप्र की स्थापना और भू राजस्व संहिता लागू होने के समय से उक्त भूमि के स्वत्व का निर्धारण किया जाना है।
उच्च अधिकारियों से मांग रहे दिशा निर्देश
तीनों सेक्टर के तहसीलदारों ने अपने-अपने क्षेत्र की भूमियों का लगभग निर्धारण कर लिया है। हालांकि सेक्टर 1 में कुछ कमियां और दस्तावेज सामने आए है जिनका निर्धारण किया जा रहा है। निजी बताई जा रही भूमि को लेकर उच्च अधिकारियों से दिशा निर्देश मांगे गए हैं, वहीं इसका निर्धारण करेंगे। जल्द ही जिला प्रशासन प्रारूप का प्रकाशन कर दावे आपत्ति आमंत्रित करेगा। अधीक्षक भू अभिलेख प्रिती भिसे ने बताया कि सभी सेक्टर अधिकारी तहसीलदार अपने स्तर पर ही निर्णय लेकर प्रारूप का प्रकाशन करेंगे दावे आपत्ति की सुनवाई के बाद ही निर्णय होगा जल्द ही दूसरे चरण का कार्य भी पूर्ण कर लिया जाएगा और अंतिम चरण होने के बाद खसरे में भूमि के स्वामित्व को लेकर जानकारी अपलोड कर दी जाएगी।
लीज समाप्ति वाली संस्थाओं पर गिर सकती है गाज
नक्शा बनाकर ऑनलाइन दर्ज करने के बाद प्रशासन ने सभी प्लॉट व जमीन मालिकों कुछ ना अंकित कर दिया है इसमें कई भूमि लीज के प्रकरण के सामने आई है। यहां जो लीज भूमि सामने आई है उनकी जानकारी भी एकत्रित की गई है, जिसमे सन्मति स्कूल और बंगाली क्लब की लीज 10 वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुकी है यह जानकारी सामने आने के बाद अन्य संस्थाओं जिन्हें इस क्षेत्र में जमीन लीज पर दी गई थी उनकी भी जांच की गई है जिसमें लगभग सभी की प्लीज समाप्ति की ओर है।इनमें से कुछ की लीज निरस्त हो सकती है और कुछ की लीज नवीकरण का कार्य भी किया जा सकता है। लीज निर्धारण के बाद से ही उक्त संस्थाओं से भू भाटक जमा नहीं होने के कारण उन पर दंड भी किया जा सकता है।
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