भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

स्कूल वाहनों में सुरक्षा नियमों का नहीं हो रहा पालन

  • बसों में सीसीटीवी, ट्रैकिंग डिवाइस, पैनिक बटन नहीं लगाया जा रहा

भोपाल। स्कूली वाहनों के संबंध में नियमों को लेकर परिवहन विभाग ने स्कूल वाहनों के नियंत्रण एवं विनियमन योजना 2019 लागू किया है। स्कूल वाहनों के संचालन के लिए पहली बार बनाई गई नीति नई शैक्षणिक वाहन नियंत्रण पॉलिसी के अनुसार स्कूलों में चलने वाले पीले रंग के वाहनों में व्हीकल ट्रेकिंग डिवाइस (वीटीडी) लगाना जरूरी है। इसके साथ ही इन वाहनों को कैमरों और पैनिक बटन से भी लैस करना अनिवार्य है। जो वीटीडी इन बसों या वाहनों में लगाई जाएगी, उसका एक्सेस संबंधित आरटीओ, शैक्षणिक संस्था या स्कूल और अभिभावकों को भी दिया जाना है। इसके अलावा स्कूल वाहन की अधिकतम रफ्तार 40 किमी प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होगी। लेकिन शहर में ज्यादातर स्कूलों में नए नियम का पालन ही नहीं हो रहा है।
स्कूल वाहनों के नियंत्रण एवं विनियमन योजना 2019 में स्कूल संचालकों व प्रबंधन की जवाबदेही तय की गई है। स्कूल प्रबंधन को अपने यहां बच्चों को लाने ले जाने वाले वाहन संचालकों के साथ लिखित अनुबंध करना है। स्कूल प्रबंधक को ऑटो, वेन या बस के संचालक से सुरक्षा को लेकर अनुबंधन करना है। इसमें सुरक्षा संबंधी प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख होगा। स्कूलों को अपने यहां ट्रांसपोर्ट मैनेजर नियुक्त करना है। बच्चों के सुरक्षित परिवहन की जिम्मेदारी उसी की होगी। प्रत्येक स्कूली वाहन में एंट्री के लिए एक रजिस्टर अनिवार्य रूप से रखा जाना है। इसमें बच्चों के नाम, उनका ब्लड ग्रुप, पालक का नाम और फोन नंबर, स्कूल का नाम दर्ज रहेगा। ठीक ऐसी ही जानकारी स्कूल प्रबंधन को भी रखना होगी। यह जिम्मेदारी स्कूल संचालक की होगी कि वाहन में सभी सुरक्षा इंतजाम रहें।


परिजन देख सकते हैं लोकेशन
विद्यार्थियों के सुरक्षित परिवहन हेतु बनाई गई शैक्षणिक वाहनों की नई नीति अक्टूबर 2019 से लागू है। इसमें सभी स्कूल व कॉलेज वाहनों में ट्रेकिंग उपकरण लगाने का प्रावधान हैं, जिससे परिजन ये देख सकें गे, कि उनके बच्चे की लोकेशन कहां है? सभी शैक्षणिक वाहनों के पंजीयन परिवहन कार्यालयों में ईवी पंजीयन सीरिज में होंगे। कोई भी वाहन 15 साल से अधिक पुराना नहीं होगा। सभी वाहनों पर डायल-100 हेल्पलाइन का नंबर लिखना जरूरी है। वाहनों की खिड़कियों पर काले कांच या परदे नहीं लगाए जा सकेंगे, जिससे अंदर की गतिविधि स्पष्ट नजर आए। वाहनों की लॉकिंग प्रणाली अच्छी स्थिति में रखनी होगी। सभी वाहन पीले रंग के होंगे। स्कूल कॉलेज का नाम, पता, फोन नंबर लिखना भी अनिवार्य है।

वैन की हार्ड टॉप बॉडी जरूरी
स्कूल बसों में विद्यार्थियों के बस्ते, टिफिन तथा पानी की बॉटल रखने का पर्याप्त एवं सुरक्षित स्थान होगा। वैन की हार्ड टॉप बॉडी होना अनिवार्य है। इसके साथ ही बस चालकों का हर साल मेडिकल परीक्षण होगा, आंखों की जांच भी करानी होगी। वर्दी अनिवार्य होगी। वाहन चलाते समय मोबाइल का उपयोग, धूम्रपान करने पर भी पूर्णत रोक रहेगी। दस साल से कम आयु के बच्चों को अभिभावकों की अनुपस्थिति में वाहन से नहीं उतारा जाएगा। ऐसी स्थिति में उन्हें फोन कर निर्देशित व्यक्ति को सुपुर्द किया जाएगा।

चालक के लिए 5 साल पुराना लाइसेंस की अनिवार्यता
बस चालकों के पास 5 साल पुराना व्यावसायिक ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य किया है। ऐसे चालक जिनका दो बार से अधिक रेड सिग्नल पार करने, लेन अनुशासन के उल्लंघन में चालान हुआ हो, उन्हें कार्य पर नहीं रखा जाएगा। साल में एक बार भी अत्यधिक गति से वाहन चलाने, नशे की स्थिति में, आपराधिक व्यक्ति के वाहन चलाने पर चालान होने पर उसे कार्य पर नहीं रखा जा सकेगा। परिचालकों की आयु 21 साल से कम और 60 साल से अधिक नहीं होगी। जिस वाहन में केवल छात्राओं का परिवहन किया जाता है, उसमें महिला परिचालक की नियुक्ति होगी। सभी का पुलिस सत्यापन भी जरूरी होगा।

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