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Second wave: पहले नौ माह में तीन बार हुआ सीरो सर्वे, बीते चार माह से एक भी नहीं

एक तरफ सरकार जनवरी में किए सीरो सर्वे के आधार पर महामारी के प्रसार पर बात कर रही है तो वहीं विशेषज्ञ दूसरी लहर के बारे में जानने के लिए नए सीरो सर्वे (Sero survey) का इंतजार कर रहे हैं। सरकार को अभी तक यह भी नहीं पता कि दूसरी लहर में महामारी ने कितनी आबादी को अपनी चपेट में लिया है। इसका एक नुकसान यह भी है कि महामारी प्रसार को लेकर सामने आ रहे गणितीय आकलन भी फेल हो रहे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) के ही विशेषज्ञ सीरो सर्वे कराने की पैरवी कर रहे हैं लेकिन शीर्ष अधिकारियों ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है।

वर्तमान हालात देखें तो बीते चार माह से देश में एक भी सीरो सर्वे नहीं हुआ है जबकि उससे पहले नौ माह में तीन-तीन बार सीरो सर्वे किया गया। इस सर्वे के दौरान गांव-गांव जाकर लोगों के रक्त नमूने लेकर जांच की गई तो कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का पता चला। वहीं आंकड़ों के अनुसार, इसी साल एक मार्च से अब तक देश में एक करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं और डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जबकि जनवरी 2020 से 28 फरवरी 2021 तक 1.11 करोड़ मामले थे और 1.57 लाख लोगों की मौत हुई थी।



हाल ही में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो आकलन किए जा रहे हैं वह बेबुनियाद हैं। हम मान सकते हैं कि देश में संक्रमण ज्यादा आबादी में फैला है क्योंकि तीसरे सीरो सर्वे में ही इसका पता चल गया था। उसी दौरान 0.05 फीसदी मृत्युदर पता चली थी जो अभी 1.15 फीसदी है। वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है।

सीएमसी वैल्लोर की डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि संक्रमण (Infection) के प्रसार का पता लगाने का एकमात्र विकल्प सीरो सर्वे है। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर कितनी तेजी से आगे बढ़ेगी और कैसे ग्राफ नीचे होगा? इसके बारे में विज्ञान जगत को पहले से ही आशंका थी। सीरो सर्वे के आधार पर ही विज्ञान ने यह पता लगा लिया था कि नई लहर लाखों लोगों को चपेट में ले सकती है। अब अगर आगामी लहर के बारे में तैयारी करनी है तो पहले यह देखना होगा कि देश में कितनी फीसदी आबादी संक्रमण की चपेट में आ चुकी है।

आईसीएमआर के ही संक्रामक रोग प्रमुख डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि सबसे पहले जिन जिलों में संक्रमण दर अधिक है वहां बहुत तेजी से कार्य करने की आवश्यकता है। इसमें सीरो सर्वे भी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि जनवरी में हुए सीरो सर्वे में एक चौथाई आबादी संक्रमण की चपेट में आने की पुष्टि हुई थी, लेकिन यह भी पता चला था कि 75 फीसदी आबादी संकट में है जिन्हें बचाव की सबसे ज्यादा जरूरत है।

फैल गया कोरोना, अब सीरो सर्वे का फायदा नहीं
आईसीएमआर (ICMR) के ही एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दूसरी लहर में कोरोना गांव-गांव तक पहुंच चुका है। उन्हें नहीं लगता कि अब सीरो सर्वे का कोई फायदा होगा क्योंकि उसके परिणाम पहले से ही हमें पता है। हालांकि टीकाकरण (Vaccination) को लेकर सर्वे की जरूरत है ताकि यह पता चले कि कितनी फीसदी आबादी सुरक्षा जोन में है। इस पर विचार भी चल रहा है लेकिन अंतिम निर्णय अभी नहीं हुआ है।

गणितीय आकलन के लिए सर्वे जरूरी
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन (University of Michigan) की प्रो. भ्रामक मुखर्जी के अनुसार भारत में अभी 2.47 करोड़ से ज्यादा मामले हैं लेकिन उनका अनुमान है कि यह संख्या 49 करोड़ से ज्यादा है जोकि 36 फीसदी आबादी के संक्रमित होने का इशारा करता है। भारत में नौ में से करीब दो मौतें ही कागजों पर दर्ज की जा रही हैं। हमारे इस अनुमान को साबित करने के लिए सीरो सर्वे का होना बहुत जरूरी है। महामारी में गणितीय आकलन को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसके आधार पर भविष्य की नीतियां तय होने में मदद मिलती है।

पहला सर्वे : मई से जून 2020 के दौरान किए इस सर्वे में 0.73 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी मिलीं।
दूसरा सर्वे: अगस्त से सितंबर 2020 के दौरान 6.6 फीसदी आबादी संक्रमण की चपेट में।
तीसरा सर्वे: दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 के दौरान 21.4 फीसदी आबादी में संक्रमण।

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