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Shardiya Navratri: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ, जानें घट स्थापना मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। पूरे साल में चार नवरात्रि पड़ती हैं। 2 नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है और 1 चैत्र और एक शारदीय नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। इस वर्ष 26 सितंबर 2022 से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही है। नवरात्रि में मा दुर्गा के नौ स्वरूप की आराधना की जाती है। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि आरंभ होगी।

और नवमी तिथि यानि 05 अक्टूबर 2022 तक मनाई जाएगी। नवरात्रि के दौरान भक्त मां दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं और पूरी श्रद्धा से व्रत रखते हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं तो कुछ दिन पहला और आखिरी दिन। शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि को बेहद शुभ माना गया है, क्योंकि इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि के दिन कलश स्थापना का मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

शारदीय नवरात्रि तिथि 2022

  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 26 सितम्बर 2022, सोमवार, प्रातः 03: 23 मिनट से
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त – 27 सितम्बर 2022 मंगलवार, प्रातः03: 08 मिनट पर

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त

  • घटस्थापना तिथि: 26 सितंबर 2022, सोमवार
  • घटस्थापना मुहूर्त: 26 सितंबर, 2022 प्रातः 06:28 मिनट से प्रातः 08: 01 मिनट तक
  • कुल अवधि 01 घण्टा 33 मिनट

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना पूजा विधि

  • नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त स्नान कर लें।
  • इसके बाद मंदिर को साफ करें और उसके बाद भगवान गणेश का नाम लें।
  • कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
  • इसके बाद एक तांबे के कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
  • कलश के ऊपरी हिस्से में कलावा बांधें।
  • कलश में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं।
  • इसके उपरांत श्रद्धा के अनुसार रुपये, दूर्वा, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
  • कलश पर अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
  • इसके बाद नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें और कलश के ऊपर रख दें।
  • अब कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें।
  • कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
  • कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जलाएं।
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