भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

देश के टूरिज्म कॉरिडोर की कड़ी बनेगा श्योपुर

  • चीता प्रोजेक्ट श्योपुर जिले को दिलाएगा नई पहचान, खुलेंगे पर्यटन विकास के द्वार
  • पर्यटन बढऩे से मध्यप्रदेश के टूरिज्म का प्रवेश द्वार भी बनेगा श्योपुर

भोपाल। कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीतों का इंतजार खत्म होने जा रहा है। 17 सितंबर को कूनों में चीता आने के बाद न कूनो नेशनल पार्क श्योपुर सहित पूरे ग्वालियर-चंबल अंचल नया पर्यटन हब बनेगा, बल्कि श्योपुर भी विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान स्थापित कर सकेगा। यही नहीं कूनो में चीते आने के बाद अप्रत्यक्ष रूप से देश में एक बड़ा और नया टूरिज्म कॉरिडोर भी बन जाएगा, जिसकी अहम कड़ी कूनो नेशनल पार्क रहेगा।
अफ्रीकी चीते आने के बाद देश का अप्रत्यक्ष रूप जो टूरिज्म कॉरिडोर बनेगा, वो है दिल्ली से ग्वालियर तक। जिसमें पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों को निहारने के साथ ही इको टूरिज्म के रूप में देश के सबसे बड़े चीता, बाघ, घडिय़ाल और पक्षियों के आधा दर्जन अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान देखने को मिलेंगे। इस कॉरिडोर में दिल्ली से प्रवेश करना वाला पर्यटक आगरा के ताजमहल और अन्य स्थलों को निहारने के बाद भरतपुर के केवलादेव पक्षी राष्ट्रीय उद्यान, करौली का कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य, सवाईमाधोपुर का रणथंभौर टाइगर रिजर्व को देखकर ही वापिस नहीं लौटेगा, बल्कि श्योपुर के रास्ते मप्र में प्रवेश करेगा और मप्र-राजस्थान बॉर्डर पर चंबल घडिय़ाल सेंचुरी, श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क, शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क होते हुए झांसी, ग्वालियर और खजुराहो जैसे ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंचेगा।



मप्र का टूरिज्म गेट बन जाएगा श्योपुर
अभी तक पर्यटक राजस्थान के सवाईमाधोपुर रणथंभौर में बाघ देखकर वापिस लौट जाते हैं, लेकिन कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीते आने के बाद पर्यटक आकर्षित होंगे। ऐसे में श्योपुर जिला मध्यप्रदेश के पर्यटन का एक नया प्रवेशद्वार भी बन सकेगा। क्योंकि रणथंभौर आने वाला पर्यटक कूनो में आएगा और यहां भ्रमण के बाद शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क होते हुए मध्यप्रदेश आगे बढ़ जाएगा।

अप्रत्यक्ष बन रहे इस कॉरिडोर में यूं मिलेगा इको टूरिज्म

  • केवलादेव पक्षी राष्ट्रीय उद्यान: राजस्थान के भरतपुर जिले में विश्वविख्यात पक्षी अभयारण्य केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान है। जहां हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं।
  • कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य: राजस्थान के करौली जिले में 376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य असंख्य वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है।
  • रणथंभौर बाघ राष्ट्रीय उद्यान: राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान है, जो बाघों के लिए विश्वविख्यात है। यहां बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है और वर्तमान में 66 बाघ है।
  • चंबल घडिय़ाल अभयारण्य: मप्र और राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी में संरक्षित राष्ट्रीय घडिय़ाल अभयारण्य देश का इकलौती घडिय़ाल सेंचुरी है। जहां घडिय़ाल, मगर और डॉल्फिन के साथ ही देशी-विदेशी प्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र है।
  • कूनो राष्ट्रीय उद्यान: श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीते बसाए जा रहे हैं। वहीं वर्तमान में यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और असंख्य वन्यजीव पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • माधव राष्ट्रीय उद्यान: मप्र के शिवपुरी जिले में स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान अपने प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है। अब यहां बाघ बसाने का भी प्लान बनाया गया है।
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