ब्‍लॉगर

ताकि हवाई चप्पल पहना शख्स भी कर सके हवाई यात्रा

– आर.के. सिन्हा

क्या आपने हाल-फिलहाल रेल तथा विमान से सफर किया है? अगर आपने दोनों से यात्रा की है तो आपने कुछ बड़े बदलावों को महसूस किया होगा जो हमारे देश के एविएशन सेक्टर में दिखाई दे रहे हैं। हो यह रहा है कि रेलवे स्टेशनों से अधिक यात्रियों की भीड़ हवाई अड्डों पर दिखाई दे रही है। आप किसी दिन राजधानी के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कहीं चले जाइये या फिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से अपने गंतव्य स्थल की यात्रा पर निकल जाइये। यकीन मानिए कि आपको इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ज्यादा भीड़ और अफरातफरी मिलेगी। इधर से हर वक्त सैकड़ों-हजारों लोग आ-जा रहे होते हैं। हरेक पांच मिनट पर एक फ्लाइट आ-जा रही होती है। शायद ही इतनी रफ्तार से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गाड़ियों की आवाजाही होती हो।

इन दोनों जगहों का उदाहरण देने का मकसद यह है क्योंकि इन दोनों का अपना अलग मुकाम है। जहां इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दुनिया के तीसरे सबसे व्यस्त एयरपोर्ट का दर्जा प्राप्त है, वहीं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को रेल विभाग का सबसे कमाऊ रेलवे स्टेशन माना जाता है। यह भी देश का प्रमुख रेलवे स्टेशन है।

दरअसल देश के एविएशन सेक्टर का तेजी से विकास बहुत सारे संकेत दे जाता है। माना जाता है कि इस सेक्टर में निवेश 3.1 का आर्थिक गुणक और 6.1 का रोजगार गुणक है। इसका मतलब है कि एविएशन सेक्टर में एक रुपये का निवेश लंबे समय में अर्थव्यवस्था में 3.1 रुपये जोड़ता है, और प्रत्येक प्रत्यक्ष रोजगार के लिए 6.1 अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होते हैं। एविएशन सेक्टर दुनिया में सबसे बड़े रोजगार और आउटपुट देने वाले क्षेत्रों में से एक है। भारत जैसे देश में जहां पर हर साल शिक्षित नौजवानों की पूरी फौज रोजगार के लिए तैयार हो जाती है, वहां एविएशन सेक्टर का विकास और विस्तार जरूरी है। आप दिल्ली से लेकर बनारस और मुंबई से लेकर लेह एयरपोर्ट में जाकर देख सकते हैं कि इनमें कितने लोग भांति-भांति का काम कर रहे हैं। इनमें महिलाएं भी खूब काम कर रही होती हैं। यानी यह सेक्टर महिलाओं को भी स्वावलंबी बना रहा है।

देखिए, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता एविएशन सेक्टर का बाजार है। देश में हवाई अड्डों की संख्या 2013-14 में 74 से बढ़कर लगभग 140 हो चुकी है। 2024-25 तक यह संख्या 220 पहुंच तक जाने की संभावना है। देश में 2013-14 में 400 विमान थे और अब यह संख्या बढ़कर 700 से अधिक हो चुकी है। सरकार का यह इरादा है कि हर साल 100 से अधिक विमान शामिल हों। लास्ट माइल कनेक्टिविटी (कोई जगह छूट न जाए) के प्रावधान के साथ सरकार का ध्यान रीजनल कनेक्टिविटी पर है। देश में अब हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में सफर करने लगा है। यही इस क्षेत्र की सफलता को इंगित करता है।

इस समूचे क्षेत्र में बहुत सकारात्मक बदलाव देखने में आ रहा है। भारत में जिस तरह विमान बेड़ों का विस्तार हो रहा है उससे आशा है कि देश में जल्दी ही लगभग 2000 वाणिज्यिक विमान आकाश में होंगे। उदाहरण के रूप में भारत के कुल पायलटों में 15% महिला पायलट हैं, जो वैश्विक औसत का तीन गुना है। क्या यह मामूली उपलब्धि है? दुनिया में करीब 5 फीसदी पायलट महिला हैं। लेकिन, भारत में महिला पायलटों की संख्या अधिक है। कुछ समय पहले सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 17,726 रजिस्टर्ड पायलटों में महिला पायलटों की संख्या 2764 है।

क्या कुछ साल पहले तक किसी ने सोचा था कि बिहार के दरभंगा में भी विमान आने-जाने लगेंगे? दरअसल अब सिर्फ बड़े और खास शहरों तक हवाई जहाज नहीं आ-जा रहे हैं। अब छोटे और मंझोले शहरों, जिन्हें टियर दो और तीन शहर माना जाता है, वहां भी एयरपोर्ट बन गए हैं। वहां के हवाई अड्डों के अंदर-बाहर भी मुसाफिरों की भीड़ लगी रहती है। ये सब देश-विदेश आ-जा रहे होते हैं। इनमें किसी रेलवे स्टेशन जैसा ही मंजर दिखाई देता है। यकीन मानिए कि चंडीगढ़. पटना, त्रिचि, नागपुर लखनऊ, अमृतसर जैसे शहरों के हवाई अड्डों में भी अब तिल रखने की जगह नहीं होती। इन सब स्थानों से भी लोग दुबई, यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया वगैरह घूमने के लिए निकल रहे होते हैं, तो कुछ काम-धंधे के सिलसिले में अन्य देशों में जा रहे होते हैं।

भारत से बाहर जाने वाले 30 फीसदी लोग सिर्फ घूमने के लिए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, साल 2025 तक डेढ़ करोड़ भारतीय हर साल सैर-सपाटा के लिए देश से बाहर जाने लगेंगे। आपको दुबई, बैंकाक, सिंगापुर, लंदन के पर्यटन स्थलों में भारतीयों की भीड़ नजर आएगी। इसी तरह रोजगार और काम-धंधे के सिलसिले में भी हर साल लाखों भारतीय देश से बाहर जा रहे होते हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर एविएशन सेक्टर से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों को अब यह भी देखना होगा कि एयरपोर्ट पर आने-जाने वाले मुसाफिरों को किसी तरह की दिक्कत न हो। फिलहाल तो सेक्युरिटी चेक से लेकर बोर्डिंग पास लेने के क्रम में बहुत मशक्कत करनी पड़ती है।

कोरोना काल के बाद देश में एविएशन सेक्टर ने पहले की तरह से काम करना शुरू कर दिया है। करीब दो साल से घरों में बैठे लोग फिर से निकले हैं अपनी मंजिल की तरफ। इस कारण हवाई अड्डों पर भीड़ पहले की तुलना में बहुत बढ़ गई है। ये देखना होगा कि यात्रियों को हवाई अड्डों या उनके सफर के समय किसी तरह की दिक्कत पेश ना आए। अब विदेशी पर्यटक भी भारत आने लगे हैं। इनका आंकड़ा भी बढ़ेगा। इन्हें भी किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अगर हम यह कर सके तो ही माना जाएगा कि भारत का एविशन सेक्टर कायदे से उड़ान भरने लगा है।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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