रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें धुँदली होने लगती हैं
कितने चेहरे एक पुराने एल्बम में खो जाते हैं
ये डॉली जैन हैं। पीजीडीसीए तक तालीम लेने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में मुलाजिम हैं। बचपन सेई इने पेंसिल स्केच बनाने का शौक था। किसी उस्ताद से बाकायदा तरबियत तो इन्ने नई ली। बाकी जुनून था तो खुद बखुद ये काम शुरू कर दिया। आहिस्ता आहिस्ता काम में सफाई आती चली गई। लंदन में रह रही डॉली की बुआ उम्दा पोट्रेट आर्टिस्ट हैं। उन्नेें डॉली को पेंसिल स्केच बनाने के सटीक गुर दिए। इंटरनेट और यूट्यूब से बी डॉली ने अपने हुनर को संवारा। ये शौक अब इनका जरियाए माश बन गया है। डॉली को इंस्टाग्राम पे बी पेंसिल स्केच बनाने के ऑर्डर मिलते हैं। इनके बनाए आचार्य विद्या सागरजी महाराज के स्केच को जैन समाज में बड़ी मकबूलियत मिली। महाराजश्री के अमृत महोत्सव पिरोग्राम में इनके पेंसिल स्केच चर्चा में रहे। डॉली ने रतन टाटा, लता मंगेशकर, एआर रहमान और पीवी सिंधू के हुबहू पेंसिल स्केच बनाए हैं। मौका मिला तो तो ये सौगात उन्हें देना चाहेंगी। एक पोट्रेट बनाने में इन्हें 3 से 4 घंटे लगते हैं। चेहरे के सही स्पेसिफिकेशन के लिए ये ग्रिड लाइन पर काम करती हैं। चारकोल पेंसिल का इस्तेमाल भी ये करती हैं। आगे चलके डॉली की प्लानिंग है की ये भोपाल के मशहूर स्पॉट्स के पेंसिल स्केच बनाएं। मसलन, चौक बाजार, बोट क्लब, राजभोज सेतु, बिड़ला मंदिर, ताजुल मसाजिद, भोपाल के तालाब वगेरह के पेंसिल स्केच बनाए। ये अपने पेंसिल स्केच की नुमाइश लगाने की तमन्ना भी रखती हैं। डॉली बिया केती हैं के आज के दौर में नोकरी के अलावा कमाई का दूसरा जरिया भी होना चाहिए। गर वो जरिया आपका शौक हो तो कहना ही क्या। भोत उम्दा डॉली, बढ़े चलो। सूरमा आपके भेतरीन मुस्तकबिल की दुआ करता है।
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