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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई-आईसीएसई छात्रों की परीक्षा के लिए हाइब्रिड विकल्प की मांग खारिज की


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को छात्रों की ओर से दायर की गई उस याचिका को खारिज (Rejects) कर दिया, जिसमें 10वीं और 12वीं की सीबीएसई और आईसीएसई (CBSE-ICSE) परीक्षा (Exams) को हाइब्रिड तरीके (Hybrid option) से आयोजित करने के लिए निर्देश देने की मांग (Demand) की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चल रही परीक्षा प्रक्रिया को अचानक ऑनलाइन नहीं किया जा सकता है।


न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और सी. टी. रविकुमार ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, “शिक्षा प्रणाली के साथ खिलवाड़ न करें, अधिकारियों को अपना काम जारी रखने दें।” पीठ ने कहा कि अगर अदालत इस स्तर पर हस्तक्षेप करती है, तो इससे व्यावहारिक कठिनाइयां हो सकती हैं क्योंकि परीक्षाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं। पीठ ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से कहा, “परीक्षाएं चल रही हैं। आइए व्यावहारिक बनें, अब यह ऑनलाइन कैसे हो सकती है.. अब बहुत देर हो चुकी है और परीक्षा को पुनर्निर्धारित नहीं किया जा सकता है।”

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि कोविड की चिंताओं का ध्यान रखा गया है और परीक्षा आयोजित करने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरती गई हैं। मेहता ने कहा, “पहले एक कक्षा में 40 छात्र बैठते थे, लेकिन अब एक कक्षा में केवल 12 छात्र ही बैठेंगे, ताकि सामाजिक दूरी बनी रहे। परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 15,000 कर दी गई है।”
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ताओं ने देर से शीर्ष अदालत का रुख किया है, पीठ ने कहा कि अंतिम समय पर की गई मांग को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए और इसके साथ ही अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड, फिजिकल मोड के माध्यम से परीक्षा आयोजित कर रहे हैं और कोविड दिशानिर्देशों के उल्लंघन में काम कर रहे हैं। शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए कक्षा 10 और 12 के छात्रों की परीक्षा 16 नवंबर और 22 नवंबर के बीच होनी है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि लगभग 26,000 स्कूल अकेले सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध हैं और ऑफलाइन परीक्षाओं के माध्यम से कोविड-19 में संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ गया है, इसलिए परीक्षाएं हाइब्रिड या ऑनलाइन आयोजित कराई जानी चाहिए। हालांकि अदालत इन दलीलों से सहमत नहीं हुई उसने याचिका को खारिज कर दिया।

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