इंदौर न्यूज़ (Indore News)

एक साल से धूल खा रही है कोरोना के वेरिएंट का पता लगाने वाली मशीन

  • अब तक ट्रेनिंग नहीं होने के कारण मेडिकल कॉलेज में
  • डब्ल्यूएचओ ने दी है यह 80 लाख की मशीन

इंदौर। देश के कुछ हिस्सों में कोरोना का जेएन डॉट-1 वेरिएंट आ चुका है। कुछ मरीजों की मौत भी हो चुकी है। इंदौर में भी दिसम्बर माह में अब तक कोरोना के 10 मरीज मिल चुके हैं। जो मरीज मिले यह कोरोना के कौन से वेरिएंट का शिकार हुए हैं, इसका पता लगाने के लिए सारे सैम्पल भोपाल एम्स हॉस्पिटल भेजे जा रहे हं,ै जबकि यह सुविधा इंदौर में भी है, मगर मशीन चलाने वाला कोई नहीं है। इसलिए ट्रेंड स्टाफ के अभाव में यह महंगी मशीन कई महीनों से धूल खा रही है।

कोरोना के वेरिएंट का पता लगाने के लिए लगभग 80 लाख रुपए की जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज इंदौर को दी है, मगर मेडिकल कॉलेज अभी तक इस मशीन को चलाने के लिए स्टाफ तक तैयार नहीं कर पाया है। इस वजह से इंदौर से कोरोना के वेरिएंट का पता लगाने के लिए सैम्पल भोपाल भेजे जा रहे हैं। जबकि जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल कॉलेज यह दावा कर रहे हैं कि हम जेएन डॉट-1 के लिए पूरी तरह से अलर्ट हैं।


नए साल में 5 टेक्नीशियन पुणे जाएंगे
इस मामले में जब मेडिकल कॉलेज प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अगले माह यानी नए साल में महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से 5 लोगों का स्टाफ पुणे में ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है। वहां पर इन्हें 5 दिनों तक मशीन चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद वेरिएंट का पता यहीं लगाया जा सकेगा।

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