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साइबर अपराधियों से निपटने को इस राज्य की पुलिस ने Google से मिलाया हाथ, जानिए क्या हुआ है समझौता

डेस्क: साइबर अपराधों और अपराधियों से निपटने को अब पुलिस ने इधर-उधर महीनों भटकने के बजाए सीधे ‘Google’ (गूगल) से ही हाथ मिला लिया है. अमूमन साइबर अपराधों के मामले में किसी भी राज्य की पुलिस तकनीकी रूप से इसी पायदान पर साइबर अपराधियों से पिछड़ जाती थी. पुलिस की इसी कमजोरी का फायदा अब तक ऑनलाइन/साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधी उठाते थे.

ये साइबर अपराधी खुद को, पुलिस व अन्य जांच एजेंसियों से ऑनलाइन तकनीक के मामले में चार कदम आगे ही रखते थे. अपराधी जानते थे कि पुलिस ऑनलाइन उनके द्वारा की जा रही धोखाधड़ी के किस रास्ते पर और कितनी देर में पहुंच सकती है या नहीं पहुंच सकती है. वहीं किसी भी राज्य की पुलिस को अब तक ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों की तह तक पहुंचने में लंबा वक्त लगता था. लिहाजा पुलिस ने भी ऐसे साइबर अपराधियों को मात देकर कम समय में उन तक पहुंचने का ‘तोड़’ निकाल ही लिया है.

फिलहाल ‘गूगल’ जैसे दुनिया के सबसे बड़े प्लेटफार्म की इस तरह की मदद दिल्ली और कर्नाटक पुलिस द्वारा लिए जाने की खबरें तो अक्सर प्रकाश में आती रही हैं. देश के अन्य किन किन राज्यों की पुलिस गूगल से इसी तरह का सामंजस्य बनाकर चल रही है. पुख्ता तौर पर ऐसा कोई आंकड़ा या जानकारी मौजूद नहीं है. अब उत्तराखंड राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ ऑनलाइन धोखाधड़ी/जालसाजी करने वालों तक पहुंचने के लिए ‘Google’ की मदद ले रहा है.


राज्य पुलिस महानिदेशालय की इस पहल से सहमत ‘गूगल’ भी मदद का आश्वासन नहीं दिया, बल्कि एक पोर्टल से ही उसे (उत्तराखंड राज्य पुलिस एसटीएफ) को जोड़ दिया. फिलहाल गूगल द्वारा मदद के बतौर उठाए गए इन कदमों का राज्य पुलिस एसटीएफ भी पूरा-पूरा लाभ लेना चाहती है. इन तमाम जानकारियों की पुष्टि राज्य स्पेशल टास्क फोर्स के पुलिस अधीक्षक अजय सिंह भी करते हैं.

क्या है पुलिस को मिला Google का LERS
उत्तराखंड पुलिस एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, “गूगल ने हमें Law Enforcement Request System” (LERS) नाम से एक पोर्टल तैयार करके दिया है. LERS पोर्टल को राज्य की राजधानी देहरादून, राज्य पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स, देहरादून में मौजूद साइबर थाना, नैनीताल, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर जिले में फिलहाल इस्तेमाल की शुरूआत प्रारंभिक दौर में की जा रही है.

शुक्रवार को इन सभी को गूगल की टीम ने देहरादून पहुंच कर ट्रेनिंग भी दी थी. इस बारे में उत्तराखंड राज्य पुलिस एसटीएफ के डिप्टी एसपी (पुलिस उपाधीक्षक) अंकुश मिश्रा बताते हैं कि “LERS दरअसल गूगल द्वारा हमें प्रोवाइड कराया जा रहा वो प्लेटफार्म है जिससे कनेक्ट होने के बाद अब हमें, साइबर अपराध के मामलों की तफ्तीश को वक्त गंवाए बिना आगे बढ़ाने के लिए कई-कई दिन या कभी कभार महीनों तक जो बे-वजह वक्त जाया करना होता था, वह नहीं करना होगा.”

24 घंटे पुलिस और गूगल साथ हुए
डिप्टी एसपी एसटीएफ देहरादून अंकुश मिश्रा आगे कहते हैं, “गूगल ने राज्य पुलिस की टीम के चुनिंदा अफसरों को एक पासवर्ड दिया है. इस पासवर्ड से LERS को अधिकृत पुलिस अधिकारी लॉगइन करते ही (उत्तराखंड पुलिस) 24 घंटे मतलब, हर लम्हा डायरेक्ट गूगल के संपर्क में रहने लगते हैं. अगर हमें किसी साइबर अपराध या अपराधी से संबंधित कोई डिटेल/डाटा हासिल करना है, तो गूगल टीम हमारे द्वारा इस पोर्टल (LERS) पर भेजे गए संबंधित सवालों का जबाब वक्त गंवाए बिना अतिशीघ्र (Top Priority) देने में सक्षम होगी.


LERS के साथ जुड़ने से पहले पुलिस के लिए गूगल तक पहुंचना बहुत कठिन था. किसी भी राज्य की पुलिस अपराधिक घटनाओं, विशेषकर ऑनलाइन साइबर अपराधों की घटनाओं से संबंधित जानकारियां जुटाने के लिए, गूगल को पहले ई-मेल इत्यादि पर अपने सवाल भेजती थी. फिर गूगल के अलग अलग दफ्तरों, संबंधित अफसरों या फिर नोडल अधिकारियों तक वो मेल जाता था. इस बेहद उबाऊ लंबी-जटिल प्रक्रिया में वक्त तो बर्बाद होता ही था. अपराधी भी तब तक पुलिस से दूर हो चुके होते थे.”

ऐसे काम करेगा LERS
साइबर अपराध विशेषज्ञों के मुताबिक LERS पुलिस, साइबर अपराधियों और गूगल के बीच एक ऐसा माध्यम साबित होता है जो पुल का काम करता है. साथ ही LERS पोर्टल से पुलिस और गूगल दोनों का समय और श्रम भी बचता है. अपराधी साइबर अपराध को अंजाम देकर जब तक पुलिस से दूर होने की सोचते हैं तब तक LERS से जानकारी हासिल करके पुलिस, अपराधियों की गर्दन तक पहुंचने में कामयाब हो जाती है.

उत्तराखंड राज्य पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, “अब तक गूगल के तमाम संबंधित अफसरों को तलाशने में भी पुलिस का वक्त बे-वजह खराब होता था. LERS पोर्टल पर गूगल ने खुद ही अपनी एक एक्सपर्ट टीम 24 घंटे नियुक्त की है. यह टीम अब पुलिस के सवाल मिलते ही उन सबका जबाब कम से कम समय में देने की कोशिश करेगी. गूगल टीम को भी पता होगा कि, अमूमन साइबर अपराधों की पड़ताल में हिंदुस्तानी पुलिस किस तरह की जानकारियां मांगती है. लिहाजा विशेषतौर पर पुलिस के लिए ही बनाए गए इस पोर्टल पर मौजूद गूगल टीम का भी जानकारियां उपलब्ध कराने में वक्त खराब नहीं होगा.”

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