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दिवाली के बाद यह तारीख है बेहद खास, बदलने वाली है नक्षत्रों की दशा, इन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव

नई दिल्ली । पूरा देश दिवाली की तैयारियों में व्यस्त है. 4 नवंबर को दिवाली है. ऐसे में साल 2021 की एक और तारीख बहुत जरूरी है और जल्द ही नजदीक आ रही है. बता दें कि साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण (Last lunar eclipse of 2021) जल्द ही नजदीक आ रहा है. दिवाली के बाद 19 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर तरह के ग्रहण को अशुभ ही माना जाता है. ग्रहण के दौरान सभी जीव-जंतुओं और मनुष्यों पर इसका नकारात्मक प्रभाव (Negative Effect) पड़ता है. कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य को नहीं किया जाना चाहिए. बता दें कि साल 2021 में सबसे पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को लगा था और साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को लगने वाला है.

इन राशियों पर पड़ेगा खास प्रभाव?
साल का यह आखिरी चंद्रग्रहण वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगने वाला है. हालांकि ये आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, इसलिए इसका सूतक काल नहीं लगेगा. यह ग्रहण भारत के असम और अरुणाचल प्रदेश में ही कुछ समय के लिए दिखाई देगा.

कब लगेगा आखिरी चंद्र ग्रहण?
ज्योतिष गणना के अनुसार साल का आखिरी चंद्र ग्रहण दिवाली के बाद 19 नवंबर 2021 को लगने जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण विक्रम संवत 2078 में कार्तिक मास की पूर्णिमा को कृत्तिका नक्षत्र और वृषभ राशि में लगने वाला है. यह चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को 11 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 33 मिनट पर खत्‍म होगा.


क्या होता है उपछाया ग्रहण?
चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है. जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्र ग्रहण माना जाता है. उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है. ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है.

कैसे लगता है ग्रहण?
चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है. जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है और सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं. शास्त्रों के अनुसार जब ग्रहण पूर्ण होता है तो उसका प्रभाव अधिक होता है. जब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है तभी सूतक के नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है. लेकिन अगर उपछाया ग्रहण हैं तो इसमें सूतक के नियमों का अधिक पालन नहीं किया जाता है. आपको बताते चलें कि चंद्र ग्रहण हमेशा ‘पूर्णिमा’ को लगता है.

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