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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

कांग्रेस के लिए निर्णायक साबित होने वाला है मार्च
कांग्रेस के लिए मार्च माह निर्णायक साबित होने वाला है। इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष का फैसला होना है। होली और रंगपंचमी पर रंग की बौछारें पडऩे वाली हैं और इन बौछारों का असर किस पर कितना होगा, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल तो संजय शुक्ला के फाग के रंग में भीगने के लिए अरविन्द बागड़ी और विनय बाकलीवाल कल किला मैदान पहुंच गए थे। गोलू अग्रिहोत्री रायपुर में नेताओं की परिक्रमा में नजर आए। वे वहां सभी नेताओं को अपनी दावेदारी की गुलाल लगा आए हैं। अब तीनों दावेदार उम्मीद से है कि होली के सतरंगी रंगों से उनकी राजनीति चमक जाए, लेकिन फैसला होगा एक के पक्ष में ही। यानि मार्च तय करेगा रंगों का त्यौहार किसका चमकेगा और किसका बिगड़ेगा?
हारफूल नहीं, मुझे चाहिए सिर्फ किताबें
भाजपा के मीडिया प्रभारी रितेश तिवारी इन दिनों अपने नवाचार के लिए चर्चा में बने हुए हैं। वे युवाओं को नशे से मुक्त करने के लिए अपने साथियों के साथ एक अभियान तो चला ही रहे हैं, वहीं शनिवार को अपने जन्मदिन पर उन्होंने एक और नवाचार किया। संघ से भाजपा में आए तिवारी ने पहले ही सोशल मीडिया पर संदेश दे दिया था कि उनके जन्मदिन पर हारफूल और केक नहीं, बल्कि महापुरूषों की किताबें भेंट करें। उन्होंने यह भी कहा कि वे इन्हें पढ़ेंगे और बाद में उसे दूसरों को भेंट कर देंगे, फिर क्या था उनके घर किताबों का ढेर लग गया।
प्रेस क्लब में भी कांग्रेसी लडऩे से बाज नहीं आए
पिछले दिनों प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन की मौजूदगी में संभाग प्रवक्ता संतोषसिंह गौतम और मोर्चा-संगठन विभाग के अध्यक्ष देवेन्द्रसिंह यादव में तू-तू मैं-मैं हो गईं। दरअसल हुआ यूं कि जब बाला बच्चन आए तो दोनों नेता फोटो खिंचाने के चक्कर में आगे-पीछे होने लगे। इस बीच दोनों में कहासुनी हो गई और दोनों की भौंहें तन गर्इं। पत्रकारों और बच्चन ने उन्हें दूर कराया, लेकिन जब तक कान्फ्रेंस चलती रही तब दोनों की त्योरियां चढ़ी रहीं। पत्रकारों को भी लग गया कि कुछ भी हो जाए, कांग्रेसी अपनी लडऩे की संस्कृति से बाज नहीं आने वाले।


दयालु के नाम से ही भजन बना दिया महिलाओं ने
दादा दयालु, यानि रमेश मेंदोला। भजन, भक्ति और भंडारे के लिए जाने जाते हंै। इन्हीं दयालु पर क्षेत्र की बुजुर्ग महिलाओं ने एक भजन बना दिया। वे जब महिलाओं के बीच पहुंचे तो भजन कर रही बुजुर्ग महिलाओं ने उन्हें अपने बीच बिठा लिया और कहा कि आपके लिए एक भजन बनाया है, उसे सुनना ही पड़ेगा। अब दयालु तो दयालु ठहरे, महिलाओं के आग्रह को अस्वीकर नहीं कर पाएं और बैठ गए उनके बीच। मेरा दादा दयालु आया है….भजन से उन्होंने मेंदोला के कामों की तारीफ की और उन्हें लोगों का प्रिय बताया। मेंदोला भी अपने अंदाज में भजन पर ताली बजाते रहे और मंद-मंद मुस्कुराते रहे।
विनय को लेकर दिग्गी की पूछपरख
विनय बाकलीवाल भले ही कमलनाथ गुट से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन सबसे पटरी बैठाना भी नहीं भूलते। तभी तो पिछले दिनों जब इंदौर से दिग्गी राजा दिल्ली के लिए फ्लाइट पकडऩे आए थे, तब उन्होंने विनय को याद किया। फ्लाइट लेट हुई तो वीआईपी लाउंज में वे इंतजार कर रहे थे, तभी कई कांग्रेसी भी जा पहुंचे, लेकिन विनय वहां नहीं थे। इस पर दिग्गी ने तीन बार पूछा कि विनय कहां है, वह नहीं आया? इतना कहना था कि दिग्गी से मिलने पहुंचे अरविन्द बागड़ी और गोलू अग्रिहोत्री दूसरे कांग्रेसियों का मुंह
देखने लगे।
एक मंच पर लालवानी और सबनानी
भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं संभाग प्रभारी भगवान दास सबनानी और सांसद शंकर लालवानी दोनों ही सिंधी समाज के दो बड़े नेता हैं और दोनों की राजनीतिक पटरी कभी नहीं बैठी हैं, लेकिन अगले माह भोपाल में होने वाले आयोजन में दोनों नेताओं को मंच साझा करना पड़ रहा है। 31 मार्च को संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में शहीद हेमू कालानी की स्मृति में होने वाले आयोजन के पहले शुक्रवार को शहर में एक बैठक रखी गई थी, जिसमें दोनों सिंधी नेता साथ नजर आए। कहा जा रहा है कि दोनों के बीच अब संबंध मधुर होते जा रहे हैं।
गौरव के हाथ में स्टीयरिंग, बगल में वीडी शर्मा
प्रदेश और नगर संगठन में बराबरी का तालमेल बनाकर चल रहे भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे की एक और जुगलबंदी देखने को मिली, जब प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जीतू जिराती के यहां विवाह समारोह में शामिल होने आए थे। चूंकि प्रवेश द्वार से आयोजन स्थल तक लंबी दूरी थी तो बड़े नेताओं के लिए बैटरी कार की व्यवस्था थी। गौरव ने बैटरी कार के ड्राइवर को हटाया और खुद कार ड्राइव करने बैठ गए। दोनों नेता आगे बैठ गए तो महापौर पुष्यमित्र भार्गव, गोलू शुक्ला को पीछे बैठना पड़ा। पूर्व मोर्चा अध्यक्ष अभिलाष पांडे भी धीरे से शर्मा के पास कार में लटक गए। कुछ और नेता बैठने की जुगत में थे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने हाथ का टल्ला मारकर वहां से दूर कर दिया।
विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों कुछ पुराने भाजपाई सक्रिय होने लगे हैं। वे किसी न किसी तरह अपना नाम दावेदारों में शामिल करना चाह रहे हैं। कोई लगातार भोपाल जा रहा है तो कोई दिल्ली तक की दौड़ लगा आया है। दरअसल गुजरात फार्मूले का लाभ सब उठाना चाह रह हैं और उन्हें उम्मीद हैं कि मौजूद विधायक का टिकट कटा तो उनकी झोली में ही गिरेगा। ऐसे कई नेता इन दिनों उम्मीद से हैं। -संजीव मालवीय

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