ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

पटवारी-कमलनाथ के बीच क्यों नहीं बैठ रही पटरी
अपने बिजलपुरी नेता पटवारी जोर-शोर से मुद्दे उठाते तो हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी और विशेषकर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का साथ उन्हें नहीं मिल पाता है। ताजे मामले की चर्चा पूरे प्रदेश में हैं। पटवारी को बजट सत्र से निष्कासित करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना था, लेकिन कमलनाथ पीथमपुर आ गए। इसके पहले भी सत्र में ऐसा हो चुका है कि पटवारी को बीच मझधार में छोडक़र कमलनाथ विधानसभा से बाहर हो गए थे। अब इसके पीछे के कारण तलाशे जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि अभी भी कमलनाथ और पटवारी के बीच कुछ तो अनबन है। कई तो कहने लगे कि पटवारी का कद बढऩे से दूसरे युवा नेताओं का कद छोटा हो जाएगा, इसलिए उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही है।


पहले पिता तो अब बेटा बना महापौर केसरी
भाजपा के एक नेता हैं धीरज ठाकुर। वर्तमान में युवा मोर्चा के नगर महामंत्री हैं, लेकिन उनकी एक और खासियत है कि वो पहलवान भी हैं। कभी महापौर केसरी रहे और इंदौर जैसे शहर में 1 करोड़ का इनामी दंगल करवाने वाले धीरज के पुत्र आयुष भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। आयुष हैं तो अभी छोटे ही, लेकिन जिस तरह से उन्होंने महापौर केसरी कुश्ती में 28 किलो वर्ग के दंगल में सामने वाले पहलवान को धूल चटाई और महापौर केसरी बन बैठे, उसने बता दिया कि ये इस पूत के पांव किस ओर जा रहे हैं।
भाजपाई ने कांग्रेसियों को कर दिया चित्त
संघ से जुड़े नितिन धरकर की बहू सोनाली वार्ड क्रमांक 16 से पार्षद हंै। पिछले दिनों कुछ कांग्रेसियों ने एक वीडियो जारी कर धरकर के खिलाफ शिकायत करवा दी। धरकर भी निकले पुराने संघी और जिन लोगों ने शिकायत की थी, उनको इक_ा किया और कांग्रेसियों को उनके ही दांव से चित्त कर दिया। जिन लोगों ने आरोप लगाया था, उनके वीडियो जारी करवाए और बुलवाया कि हमें धरकर से कोई शिकायत नहीं है। कहा जा रहा है कि अवैध कालोनी काटने को लेकर पूरा झगड़ा है और कुछ कांग्रेसी इसमें अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।


अब महेश जोशी जैसे नेता नहीं बचे कांग्रेस में
कांग्रेस में बोलने वाला नेता कोई रहा नहीं है। राजनीतिक बयानबाजी अलग है, लेकिन इंदौर में चल रही उठापटक को समाप्त करने में किसी नेता की रूचि नहीं है। सीधी भाषा में कहे कि अब कोई फटे में पैर डालकर अपना पैर फंसाना नहीं चाहता। ऐसी ही स्थिति इंदौर की है। इंदौर में जरूर सज्जनसिंह वर्मा, सत्यनारायण पटेल, विधायक जीतू पटवारी, संजय शुक्ला, विशाल पटेल जैसे नेता हैं, लेकिन वे शहर कांग्रेस के मामले से अपने आपको दूर ही रखते हैं और यही कारण है कि अध्यक्ष का फैसला नहीं हो पा रहा है, वहीं महिला कांग्रेस अध्यक्ष का मामला अलग खटाई में पड़ गया है और नवनियुक्त अध्यक्ष साक्षी शुक्ला के पीछे वे नेत्रियां पड़ गई हैं, जो कभी महिला कांग्रेस की कर्ताधर्ता होती थीं। वे साक्षी को पचा नहीं पा रही हैं और उन्हें हटाने में अपना दम लगा रही हैं।
सांसद निधि का बोरिंग है तो श्रेय लेना ही पड़ेगा
सांसद शंकर लालवानी राजनीति के पक्के खिलाड़ी हैं। विधानसभा के बाद लगे-लगाए लोकसभा चुनाव है और सांसद श्रेय का मौका नहीं छोडऩा चाहते। उन्होंने 10 बोरिंग करवाने की घोषणा की थी। कोई दूसरा इसका श्रेय नहीं ले ले, इसलिए वे हर बोरिंग के भूमिपूजन में पहुंच जाते हैं और बताना नहीं भूलते कि उन्हीं के प्रयासों से ये संभव हुआ है और फिर सांसद समर्थक उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने में जरा-भी देर नहीं लगाते। इसे लोकसभा चुनाव की तैयारियों के रूप में भी देखा जा रहा है।
नाराज है भाजपा का युवा मोर्चा
तीन नंबर विधानसभा में जैसे ही युवा मोर्चा की मंडल कार्यकारिणी बनी, कुछ युवा नेता नाराज हो गए और सोशल मीडिया पर इस्तीफों का दौर शुरू हो गया। कुछ को उनके कद के अनुरूप पद नहीं मिला तो नए युवाओं को बड़ा पद दे दिया गया। उनका कहना था कि कई ऐसे नए नामों को शामिल कर लिया गया है, जिन्होंने चुनाव में पैसे लेकर काम किया। हालांकि बड़े नेताओं के समझाने के बाद मामला ठंडा पड़ गया है। फिर भी एक टसल तो बनी हुई है, जिसके कारण कई युवा नाराज हैं।
जल प्रभारी की ही नहीं सुन रहे उनके मातहत
नगर निगम में यूं तो परिषद भाजपा की है, लेकिन उसके पार्षदों को कितनी तवज्जो मिलती है, ये सबको मालूम है। एक बार तो सभी पार्षद और एमआईसी मेम्बर तक अफसरों की शिकायत सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं। बावजूद इसके अधिकारियों का ढर्रा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला जल यंत्रालय का है, जहां के प्रभारी अभिषेक शर्मा हैं। महापौर परिषद की बैठक में शर्मा ने अपने ही विभाग के अधिकारियों को आड़े हाथों लिया और कहा कि उन्होंने शहर में कुछ वॉल्व बदलने का बोला था, लेकिन उनके आदेश को तवज्जो नहीं दी गई। उन्होंने रामकी कंपनी के कर्ताधर्ताओं को घेरते हुए शिकायत की कि वे कई बार कह चुके हैं, लेकिन कंपनी के लोग ध्यान नहीं दे रहे और जनता की गाढ़ी कमाई से लाया जाने वाला नर्मदा का पानी कई स्थानों पर फालतू बह रहा है।

जिस तरह से भोपाल में भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियां तेज हो गई हैं, उसका असर नीचे दिखाई नहीं दे रहा है। कई जिलों में संगठन की कछुआ चाल बता रही है कि स्थानीय तौर पर चुनावी करंट फैल नहीं पा रहा है। कुछ जिलाध्यक्ष चुनाव लडऩे की फिराक में हैं और टिकट की चाह में वे उस विधानसभा पर ध्यान दे रहे हैं, जहां से उन्हें लडऩा है। खैर संगठन की निगाह ऐसे अध्यक्षों पर भी है और जल्द ही कुछ बदलाव होने की उम्मीद है। -संजीव मालवीय

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