ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


इस बार नहीं आया कार्यकारिणी के लिए दबाव
जो भी राजनीति करता है उसे एक बार तो सत्ता में जाने की ख्वाहिश रहती है। भाजपा में भी पिछले दिनों कुछ ऐसा ही हुआ। चौथी बार प्रदेश की सत्ता में आ चुकी और पांचवीं बार नगर की सत्ता में आने की तैयारी कर रही भाजपा में इस बार कार्यकारिणी के लिए लंबी जद्दोजहद देखने को नहीं मिली और आसानी से सबकुछ निपट गया। शहर और गांव के लिए हुई रायशुमारी में अपेक्षित नेता ही दीनदयाल भवन में नजर आए और बाकी ने तो दूर-दूर तक झांका तक नहीं। कारण यही रहा कि इस बार सभी को पार्षद का टिकट चाहिए और उसी के लिए सब एड़ी-चोटी का जोर लगाने के लिए तैयार बैठे हैं। तत्कालीन कार्यकारिणी में शामिल लोग भी अब संगठन के काम से ज्यादा सत्ता का स्वाद चखना चाह रहे हैं और तश्तरी लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन किसके हिस्से में क्या आएगा ये तो भविष्य के गर्त में हैं। वैसे कुछ युवाओं ने कार्यकारिणी में आने की इच्छा जताई है, लेकिन टीम रणदिवे में ज्यादा सीनियर आते दिखाई नहीं दे रहे हैं।


जिससे की कमाई उसी की धुलाई
जवानों की कांग्रेस में बड़े पद पर आए नेताजी का आरटीओ कार्यालय में खूब बोलबाला है और वहां से नेताजी की दुकान बड़े अच्छे से चल रही है। लेकिन नेताजी को अचानक न जाने क्या हुआ कि जिससे वे कमाई कर रहे थे, उसी की धुलाई करवाने की तैयारी कर बैठे। आज आरटीओ पर जो प्रदर्शन हो रहा है, उसमें भी इन्हीं नेताजी का हाथ है। चूंकि अब नेताजी जवाबदार पद पर पहुंच गए हैं, इसलिए अपने प_ों को यहां आज प्रदर्शन के माध्यम से लांच करवा रहे हैं।
सौ भी इकट्ठा नहीं कर पाई महिला कांग्रेस
पिछले दिनों महिला कांग्रेस ने रीगल तिराहे पर महंगाई को लेकर जोरदार प्रदर्शन करने का ऐलान किया। तैयारी तो खूब की, लेकिन सौ महिलाएं भी प्रदर्शन में इक_ा नहीं हो पाईं। कांग्रेस के पुरुष नेताओं ने भी जोर लगाया, लेकिन महिलाएं तो महिलाएं ठहरीं। जिन महिलाओं को अपने वार्ड से पार्षदी के सपने आ रहे हैं वे जरूर अड़ोस-पड़ोस की महिलाओं के साथ वहां पहुंच गईं। महंगाई के लिए भाजपा को कोसा और ज्यादा देर न रुकते हुए काम का बहाना बनाकर निकल गईं।


ये रिश्ता क्या कहलाता है….
तुलसी तो अब भाजपा के आंगन की हो गई है, लेकिन एक रिश्ता किसी को समझ नहीं आ रहा है। जहां भी तुलसी की आमद होती है वहां गाड़ी की दूसरी सीट पर प्रदेश स्तर के जो नेताजी दिखाई देते हैं, उन्हें देखकर भाजपाई सवाल कर रहे हैं कि आखिर ये रिश्ता क्या कहलाता है? इस रिश्ते का कोई नाम नहीं है और न ही दूर-दूर तक कोई रिश्तेदारी है, जो इसे नाम दे सके। हालांकि ये राजनीतिक रिश्ता भाजपा ने चुनाव तक जोड़ा था, लेकिन ये रिश्ता बरकरार है और उन लोगों के पेट में मरोड़ आ रही है जो इस रिश्ते के कारण तुलसी के पास नहीं पहुंच पाते हैं। वैसे इसी रिश्ते से नेताजी सत्ता में जाने की सीढ़ी तैयार कर रहे हैं।
जन्मदिन के बहाने परखी तैयारी
पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने जिस तरह से अपना प्रदर्शन किया था, उसी को लेकर अब नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। पिछले सप्ताह बसपा सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन था और इसी के बहाने चुनाव की तैयारियां भी परख ली गईं। वैसे देखने वाले बता रहे हैं कि अभी इंदौर में तो बसपा दूर की कौड़ी है। भले ही बसपा के उम्मीदवार खड़े हो जाएं, लेकिन मुख्य मुकाबला तो भाजपा और कांग्रेस में ही होना है। फिलहाल भाजपा का ध्यान आरक्षित वार्डों पर ज्यादा है।
हमारे नेता पर भरोसा नहीं रहा
पहले ऑटो, फिर ठेले वालों की राजनीति करने वाले एक भाजपा नेता पर से ऑटो वालों का विश्वास उठ गया है। ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि वे ऑटो वाले कह रहे हैं, जो दीनदयाल भवन पर बाइक टैक्सी की शिकायत लेकर पहुंचे थे। बाइक टैक्सी को लेकर उन्होंने नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे से बात की और कहा कि इससे हमारे धंधे पर असर पड़ रहा है। बातों ही बातों में बतियाते रहे कि इसके पहले जिस नेता पर विश्वास किया था उसने तो अपनी दुकान जमा ली और हमको रोड पर कर दिया।


भाजपा कार्यालय में फैले गुप्तचर
भाजपा कार्यालय में गुप्तचरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। कौन, किसके लिए मुखबिरी कर रहा है, ये जाहिर नहीं हो रहा है। इन्हीं में से एक मुखबिर को कार्यालय में घटने वाली हर घटना की जानकारी चाहिए। जानकारी नहीं मिलती है तो वे खुद खोद-खोदकर पूछ लेते हैं और जहां खबर पहुंचाना है वहां पहुंचा देते हैं। वैसे एक मुखबिर तो एक बड़े गुट के लिए यहां पाए जा रहे हैं, जो पहले कार्यालय से लगभग गायब हो गए थे, लेकिन गौरव रणदिवे के अध्यक्ष बनते ही सक्रिय हो गए हैं। एक अन्य तो अपने आपको यहां स्थापित करने के लिए अपने कान और आंख को सक्रिय किए घूमते रहते हैं।

दादा दयालु कोरोना पॉजिटिव आने के बाद अभी तक लोगों से खुलकर मिल नहीं पा रहे हैं। कुछ गिने-चुनों से मिलते हैं। अभी दयालु को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। बताया जा रहा है कि दयालु तीन दिनों से गुजरात में हंै। मकर संक्रांति पर कनकेश्वरी देवी आई थीं, उन्हीं के साथ वे गुजरात गए हुए हैं। चुनाव लडऩे वाले रोज उनके घर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन दयालु के दर्शन नहीं होने से मायूस लौट रहे हैं।

-संजीव मालवीय

Share:

Next Post

INDORE : बच्चों में गैंगवार, एक ने चाकू से ऐसा वार किया कि दूसरे की जान पर बन आई

Mon Jan 18 , 2021
इंदौर। आजाद नगर क्षेत्र में बच्चों में गैंगबाजी का मामला हो गया। एक बच्चे ने चाकू निकालकर ऐसा वार किया कि दूसरे बच्चे की सांसें अटक गईं। उसका अस्पताल में ऑपरेशन हुआ है। उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। आजाद नगर पुलिस ने बताया कि 13 साल के शानू नामक बच्चे को घायल अवस्था में […]