ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


गैंगबाजी में इसलिए नहीं जमा राजनीतिक रंग
पिछले दिनों शराब ठेकेदार पर चलाई गई गोली की आवाज राजनीतिक गलियारों तक पहुंची और सवाल उठने लगे कि दोनों पक्षों का पॉलिटिकल कनेक्शन है। कनेक्शन भी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से था। नेताओं के नाम आते तो परतें खुलतीं, उसके पहले ही ड्रामा खेला गया और पुलिस ने दो आरोपियों को पेश कर दिया। बताया गया कि दोनों को गिरफ्तार किया गया है। नेताओं पर गोलीबारी के छर्रे उड़ते, उसके पहले ही दोनों ओर से चुप्पी साध ली गई। हालांकि पर्दे के पीछे से नेता बराबर मदद करने में लगे हैं और इसलिए सारी कार्रवाई फटाफट हो रही है। गोली जिसे लगी वो भी बड़े पॉलिटिकल ग्रुप से जुड़ा है और जिन्होंने मारी वो भी दूसरे ग्रुप से जुड़े हैं। इसलिए अब कल एक नया घटनाक्रम इस कांड में जुड़ गया है। मंत्री के साथ रहने वाले एक-दो नाम सामने आ रहे हैं। आगे-आगे देखिए शह और मात के इस राजनीतिक खेल में होता है क्या?
गांव की भाजपा के दिन भी फिरे
गौरव रणदिवे ने शहर भाजपा का पद संभालने के बाद अपने कार्यालय को अपडेट करवाया और फिर वास्तु के हिसाब से बैठे। गौरव को वास्तु कितना फल रहा है ये तो वे ही जानें, लेकिन उनकी राह पर जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर भी चल पड़े हैं। उन्होंने भी अपने एक नहीं, बल्कि दो कमरों का ऐसा रंगरोगन करवाया है कि गौरव का कार्यालय फीका नजर आ रहा है। दोनों नेताओं में मची होड़ ने कार्यालय में एसी भी लगवा लिए हैं। पहले के नेता कहते थे कि हमारा नेता पंखे के नीचे बैठकर मेहनत करता है, लेकिन अब एसी लग गए हैं और गांव के भाजपाइयों को भी कार्यालय में आने पर एसी की हवा खाने को मिलेगी।
कोविड योद्धा समिति मानो टिकट मिल गया
कांग्रेसी छोटी-छोटी बातों में ही खुश हो जाते हैं। ताजा मामला कोविड योद्धा समिति का है। इंदौर के 85 वार्डों में समिति तो बना दी गई और नेताओं ने एक-दूसरे को बधाई तक दे डाली। जिन्हें नहीं लिया गया, उनसे कहा गया कि एक-दो दिन में उनके नाम भी जोड़ दिए जाएंगे। कोरोना समाप्त होने के बाद समिति का औचित्य समझ नहीं आ रहा है। समिति के लोगों को काम क्या करना है ये भी अधिकांश को नहीं मालूम। कई कांग्रेसी तो ऐसे फूल रहे हैं, जैसे उन्हें पार्षद का टिकट मिल गया हो। वैसे इन्हें काम दिया गया है कि घर-घर जाकर पता करें कि कितने लोगों की कोरोना काल में मौत हुई है? देखना यह है कि कितने नेता लोगों के घर तक जाते हैं या घर बैठ जाते हैं?
सीधी में इंस्टॉल हुआ बाबा का कम्प्यूटर
इंदौर से गायब होने के बाद कम्प्यूटर बाबा सीधी में गुरुपूर्णिमा पर प्रकट हुए और अपने भक्तों के लिए कार्यक्रम रखा। हालांकि पहले कम्प्यूटर बाबा ने अपने आने की खबर फैलाई, लेकिन बाद में पुलिस के डर से कहा गया कि वे ऑनलाइन ही मिलेंगे। इंदौर और आसपास के कई लोग भी सीधी पहुंचे। हालांकि बाद में कम्प्यूटर बाबा वहां पहुंचे और लोगों से भी मिले। एक बार फिर कम्प्यूटर बाबा कांग्रेसियों के माध्यम से प्रदेश में सक्रिय होना चाह रहे हैं। वे इंदौर तो आ नहीं सकते, इसलिए अब प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में ही अपना कम्प्यूटर इंस्टॉल करने की जगह तलाश कर रहे हैं।
मेंदोला की किताब का राहुल गांधी पर असर
राहुल गांधी ने बयान दिया है कि जो भ्रष्ट और चोर हैं उन्हें मोदीजी से डर लगेगा। उनके इसी बयान को पकडक़र मेंदोला ने ट्वीट कर डाला कि दो साल पहले उन्हें गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ भेजी थी। उसका असर अब राहुल पर दिखने लगा है। जो बयान उन्होंने दिया है वो सच है और राहुल को इसी प्रकार सच बोलना चाहिए। मेंदोला ने अपनी आदत के अनुसार चुटकी भी ली कि प्रियंका गांधी को भी ये किताब पढऩा चाहिए, ताकि वे भी सच बोलें।
दावेदार ने बांट दिए वोट देने के लिए पैम्पलेट्स
कांग्रेसियों को निगम चुनाव कराने की जल्दी है। कइयों ने तो अपने आपको प्रत्याशी मानकर पैम्पलेट्स तक छपवा लिए हैं। गांधी भवन में प्रदेश के सहप्रभारी इंदौरा पहुंचे तो वहां एक दावेदार ने अपने नाम के पैम्पलेट्स बांट दिए, जिसमें उनके वार्ड क्रमांक 35 से लडऩे का जिक्र था और बड़े नेताओं के नाम तक लिखे थे। पैम्पलेट्स में बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन अभी तो चुनाव के अते-पते नहीं हैं और नेताजी ने पार्षद का सेहरा सिर पर सजा लिया है।
ओम सिलावट को देख चौंके कांग्रेसी
जब तुलसी सिलावट भाजपा में चले गए थे तो उनके भानजे ओम सिलावट भी न्यूट्रल हो गए थे, पर वे पिछले दिनों गांधी भवन में प्रकट हुए। उन्हें देख कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता भी चौंक गए। ओम ने कहा कि वे कभी भाजपा के साथ नहीं गए और न ही कांग्रेस छोड़ी। उन्होंने कहा कि वे तो कांग्रेस कार्यकर्ता हैं और कांग्रेस छोडक़र कहीं जा नहीं सकते।

कांग्रेस के सहप्रभारी कुलदीप इंदौरा शनिवार को इंदौर आए थे। उन्होंने कहा कि किसी को समस्या हो या शिकायत करना हो तो मुझसे अकेले शहर अध्यक्ष के कैबिन में बात कर सकते हैं, लेकिन जब कार्यकर्ता मन की बात करने अंदर गए तो वहां शहर अध्यक्ष बाकलीवाल और उनकी चौकड़ी मौजूद थी। जिन्हें शिकायत करना थी वे चुप रह गए और इंदौरा के साथ सेल्फी लेकर बाहर आ गए। अब ऐसे कोई शिकायत करता तो वह बाहर जाना लाजिमी था। -संजीव मालवीय

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