ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


हम साथ-साथ हैं…लेकिन अंदर चल रही गुटबाजी
जिस तरह से कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की कवायद की जा रही है और बड़े नेता लगातार कह रहे हैं कि संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करना है, ऐसे में अब बड़े नेताओं को ऊपर से एक होने का दिखावा करना पड़ रहा है। शहर और ग्रामीण की कांग्रेस में ऊपर से तो सब नेता साथ-साथ दिख रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर सबमें गुटबाजी की खिचड़ी पक रही है और इसका परिणाम महू विधानसभा की बैठक में देखने को मिला, जब महू शहर अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया। यही हालत शहर कांग्रेस में भी है। संजय शुक्ला, विनय बाकलीवाल और विशाल पटेल की तिकड़ी अलग चलती है तो जीतू पटवारी अपनी कांग्रेस बिजलपुर और भोपाल से चलाते हैं। सज्जन वर्मा का एक अलग गुट है। इसके अलावा जो पुराने नेता थे वेअपने-अपने क्षेत्रों में बंध-से गए हैं। ऐसे में संगठन प्रभारी कांग्रेस को एक कैसे करेंगे और मिशन 2023-24 कैसे पूरा होगा?


सोनकर के जिम्मे मीडिया रूम का भी काम
भाजपा के जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर ने नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे से दो कदम आगे निकलकर अपने कार्यालय को संजाया-संवारा है और श्रावण मास में अच्छा मुहूर्त देखते ही बैठने की भी तैयारी हैं। इंटीरियर भी ऐसा किया गया है कि यह किसी बड़ी कंपनी का कार्पोरेट ऑफिस ज्यादा लग रहा है। सोनकर के नजदीकियों से खर्चे के बारे में पूछो तो कह रहे हैं कि सब जनसहयोग हैं। इसी जनसहयोग को देखते हुए अब सोनकर को मीडिया रूम बनाने का भी जिम्मा दे दिया गया है, जहां वीडियो और ऑडियो रिकार्ड किए जाएंगे। पूरा रूम साउंड प्रूफ बनाया जा रहा है और इसमें अच्छा-खासा खर्चा भी होना है। वैसे यहां से मीडिया सेंटर खत्म कर दिया गया है।
हमको कम पेट्रोल तो आम लोगों का क्या
शहर के कई पेट्रोल पंपों पर रोज कम पेट्रोल देने की शिकायतें आम हैं। राजबाड़ा क्षेत्र के भाजपा नेता दीपेश पचोरी ने रामबाग पेट्रोल पंप से बुलेट में पेट्रोल डलवाया। बमुश्किल आधा किलोमीटर भी नहीं चले थे कि गाड़ी बंद हो गई। मेकेनिक को दिखाया, लेकिन चालू नहीं हुई। टंकी में झांका तो पेट्रोल ही नहीं था। इस पर पचोरी पंप पर जाकर कर्मचारियों से भिड़ लिए, लेकिन कर्मचारी मानने को तैयार नहीं थे। नेताजी ने थाने में शिकायत कर दी और लिखा कि जब नेताओं को ही इस तरह से कम पेट्रोल दिया जा रहा है तो आम लोगों को कितना लूटते होंगे? वैसे थाने की शिकायत से कुछ होने वाला नहीं है और नेताजी अब खाद्य विभाग को शिकायत करने जा रहे हैं।
गणेशजी प्रकट हुए तो मालूम चला बर्फ पिघली
गौरव रणदिवे के अध्यक्ष बनने के बाद उनकी पटरी विधायक रमेश मेंदोला से नहीं बैठना भाजपा नेताओं की समझ से परे जा रहा है। हालांकि पिछले दिनों कार्यालय पर गणेशजी प्रकट हुए और लगातार उनका आना हुआ तो लगा कि दोनों के बीच की बर्फ पिघल रही है। गणेशजी यानि मेंदोला के सिपहसालाार गणेश गोयल। संगठन और मेंदोला के बीच वे ही दूत का काम करते हैं। 2 नंबर में कार्यसमिति की बैठकें भी हो चुकी हैं और बर्फ पिघलने के मायने निकाले जा रहे हैं कि अब नगर कार्यकारिणी की घोषणा भी हो जाएगी।
गुड्डू और गुप्ता की नजदीकियां बढ़ीं
एक नंबर विधानसभा में कभी सुदर्शन गुप्ता के टिकट का विरोध करने वाले निरंजनसिंह चौहान उर्फ गुड्डू साथ-साथ देखे जा रहे हैं। कभी दोनों नेताओं के बीच तलवार खींच गई थी और लग रहा था कि ये खाई अब पटने वाली नहीं है, लेकिन जिस तरह से दोनों नेता साथ-साथ घूम रहे हैं, देखने वाले आश्चर्य कर रहे हैं कि ये किस राजनीतिक समीकरण का नतीजा है? वैसे गुप्ता की नजर महापौर की दावेदारी पर हैं और फिर राजनीति में लंबे समय तक किसी को दुश्मन भी नहीं रखा जा सकता।


अर्चना की नियुक्ति नहीं पचा पा रही नेत्रियां
अर्चना जायसवाल ने जिस तरह से दूसरी बार प्रदेश में अपनी सक्रियता बताकर महिला कांग्रेस की कुर्सी हासिल कर ली है। इसे कांग्रेस की दूसरी नेत्रियां पचा नहीं पा रही हैं। उनका कहना है कि एक ओर तो कांग्रेस को मजबूत करने की बात कही जा रही है और दूसरी ओर ऐसे नेताओं को लाया जा रहा है, जिनके खाते में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। ऐसे में अर्चना जायसवाल के लिए अब महिलाओं में अपनी पैठ बनाना और सबको साथ लेकर चलना मुश्किल खड़ा कर सकता है।
मंडल कार्यकारिणी में चंदे का विरोध
भाजपा की मंडल कार्यकारिणी में सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर का खाना और अन्य खर्चे लग रहे हैं, इसके लिए मंडल अध्यक्ष को जवाबदारी दी हैं, लेकिन मंडल अध्यक्ष इसको लेकर परेशान हैं सो वे पदाधिकारियों से ही 1-1 हजार रुपए का चंदा इकट्ठा कर बैठकों का आयोजन कर रहे हैं। 3 नंबर के एक मंडल में तो भाजपा की महिला पदाधिकारियों ने इसका विरोध कर दिया और कहा कि हम चंदा क्यो दें? इसके पहले भी हम आजीवन सहयोग निधि में लोगों से पैसा ले चुके हैं और हमें पार्टी ने कुछ ऐसा पद भी नहीं दिया है कि खर्चा कर सके। हालांकि यही पीड़ा दूसरे मंडल की भी हैं, लेकिन खुलकर कोई सामने नहीं आ रहा है।
खजराना में हुई मंडल कार्यसमिति की बैठक में वे मुस्लिम नेता भी नजर आए जो सीएए और एनआरसी के विरोध में झंडा बुलंद किए हुए थे। अब इन नेताओं को वहां से भगाया तो नहीं जा सकता था। हालांकि नेताओं ने पार्टी से वफादारी को लेकर बड़ी-बड़ी बात की और सोशल मीडिया पर बताया कि वे भाजपा में ही हैं। -संजीव मालवीय

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