ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


पूर्व पार्षदों से नहीं छूट पा रहा निगम का मोह
भाजपा के कुछ पूर्व पार्षद ऐेसे हैं, जो अपनी पार्षदी के कार्यकाल में आम लोगों के काम तो बहुत कम कर पाए, लेकिन निगम अधिकारियों के पीछे लगे रहे। कामों में कमीशन का खेल करने वाले इन पूर्व पार्षदों का अभी भी निगम से मोह भंग नहीं हो पा रहा है और वे अभी भी निगम में किसी न किसी अधिकारी के यहां बैठकर जोड़-घटाव करते देखे जा सकते हैं। नजर मिल जाती है तो वे अपने क्षेत्र के काम कराने की बात कहकर टाल देते हैं। दरअसल इसके पीछे राज की बात यह है कि निगम में कई ठेकेदारों से उन्होंने काम करा लिया था और उसके बिल बाकी पड़े हुए हैं। ठेकेदार पीछे पड़े हैं और किसी भी तरह से अपने बिल का भुगतान कराने को लेकर पूर्व पार्षदों के चक्कर काट रहे हैं। पूर्व पार्षद भी इस चक्कर में अधिकारियों के आसपास मंडरा रहे हैं कि ठेकेदार का बिल पास हो जाए और उनका भी कुछ भला हो जाए।


बच गए युवक कांग्रेसी पुलिस ने कर दिया माफ
कंगना रनौत को पद्मश्री मिलने और उसके बाद ऊलजुलूल बयान देने के मामले में कांग्रेसियों के निशाने पर आई मेडम के विरोध में युवक कांग्रेसियों ने अनूठा प्रदर्शन कर डाला। रीगल पर भैंस के मुंह पर कंगना रनौत का चेहरा लगाया और उसे पूरे चौराहे पर घुमाया। पुलिस वाले देखते रहे और नेताजी भैंस को घुमाते रहे। गनीमत है कि इतनी भीड़ में भैंस नहीं बिदकी, वहीं पुलिस ने भी कांग्रेसियों को माफ कर दिया, नहीं तो भाजपाइयों पर तो घोड़े को रंगने पर पशु प्रताडऩा का केस दर्ज कर लिया था।
शांत बैठ गए कांग्रेस के मुस्लिम नेता
कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेता जो अपने आपको प्रदेश के अल्पसंख्यक विभाग की कुर्सी और पत्नी को महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनते देखना चाह रहे थे, उनकी दौड़ धीमी हो गई है। जो मुस्लिम नेता उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे, वे पीछे हो गए हैं। कारण सबको मालूम है। नेताजी अब अलग-थलग पड़ गए हैं और शांत बैठ गए हैं। यूं भी अभी सरकार है नहीं तो लोग आगे-पीछे घूमेंगे नहीं। वैसे आने वाले समय में नेताजी की मुश्किलें बढ़ाने की तैयारी उनके अपनों ने कर ली है।
चावड़ा के यहां भाजपा नेताओं का मजमा
संगठन मंत्री रहे जयपालसिंह चावड़ा के सामने कई नेताओं की आवाज नहीं खुलती थी, लेकिन अब चावड़ा साब नहीं केवल भाईसाब हो गए हैं। चावड़ा रह तो देवास में रहे हैं, लेकिन इंदौर में अकसर देखे जाते हैं और उनके साथ वे नेता भी, जो उनके कार्यकाल में उनके आगे-पीछे ज्यादा रहते थे। पिछले दिनों देवास में चावड़ा के यहां एक मांगलिक कार्यक्रम था। हालांकि इसके पहले अपनी बेटी की शादी में चावड़ा ने इंदौर के हर छोटे-बड़े नेता को बुलाया था। इस बार मजमा कम था, लेकिन वे नेता जरूर थे जो भाईसाब के खास रहे हैं। इनमें पूर्व नगर अध्यक्ष से लेकर वर्तमान नगर अध्यक्ष और पुरानी नगर कार्यकारिणी के लोग भी थे। वैसे चावड़ा का मोह इंदौर से नहीं छूटा है और पुराने नेता इस चक्कर में परिक्रमा कर रहे हैं कि कहीं भाईसाब फिर से साब हो गए तो?
एक घंटे पहले तय हुआ था पुतला दहन कार्यक्रम
भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के बनिये और ब्राह्मण को अपनी जेब में रखने वाले बयान पर कांग्रेस ने खूब हल्ला मचाया। हालांकि भाजपा पर इसका कुछ असर नहीं पड़ा। शहर कांग्रेस ने पुतला जलाया, लेकिन उसी के ब्राह्मण और बनिये वर्ग के कार्यकर्ता और नेता इस विरोध में शामिल नहीं हो पाए। भीड़ नहीं होने पर अंदरूनी तौर पर कांग्रेस के नेता नाराज हैं, लेकिन बाकलीवाल कहते फिर रहे हैं कि एक घंटे पहले ही तय हुआ था कि मुरली का पुतला जलाना है और हम गांधी भवन पहुंच गए।


सोनकर के पहुंचने के पहले ही माल्यार्पण
महू में भाजपा के कद्दावर नेता भेरूलाल पाटीदार की पुण्यतिथि थी। माल्यार्पण का आयोजन रखा था। भाजपा संगठन में अध्यक्ष महत्वपूर्ण होता है। सब जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर का इंतजार कर रहे थे, लेकिन वे समय पर नहीं पहुंचे तो कार्यक्रम शुरू करवा दिया। किसी ने कहा कि सोनकर से बड़ी नेता यहां प्रदेश महामंत्री के रूप में कविता पाटीदार हैं ही। अगर सोनकर को अपने ही दिवंगत नेता के लिए टाइम नहीं है तो फिर उनका इंतजार क्यों? नेताओं ने माल्यार्पण किया ही था कि थोड़ी ही देर में सोनकर अपनी गाड़ी से सायरन बजाते हुए पहुंच गए।


नागरिकता में केवल सांसद की ही तारीफ
जब भी पाकिस्तान के सिंधियों की भारतीय नागरिकता की बात आती है तो उन्हें नागरिकता दिलाने के नाम पर सांसद शंकर लालवानी का ही नाम आता है। लगातार नागरिकता दिलाई जा रही है और चूंकि अब वे सांसद हैं तो सीधे विदेश मंत्रालय में दखल हैं। फिर भी वे अपने आपको सिंधी नेता बताने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। पिछले दिनों गृहमंत्री इंदौर आए तो उन्होंने नागरिकता सम्मेलन रख लिया और उसमें 101 पाकिस्तानियों को नागरिकता के प्रमाण पत्र दिलवा दिए। कार्यक्रम में किसी का नाम नहीं था, लेकिन पर्दे के आगे और पीछे जो लोग थे, वे सब सांसद के इर्द-गिर्द वाले ही थे। मंच पर सिंधी समाज के पूर्व पार्षदों को कलेक्टर मनीष सिंह के पास जगह दी गई तो हॉल के दर्शकों में भी अधिकांश सांसद समर्थक ही नजर आए।
जोबट से कांगे्रस के हारने के बाद उंगलियां कांतिलाल भूरिया एंड कंपनी पर उठ रही हैं। कांतिलाल नहीं चाहते हैं कि उनके अलावा आदिवासियों का नेता कोई और बने। वे अभी से अपने पुत्र में विधायक की छवि देख रहे हैं। कहीं ये पुत्रमोह उन्हें भारी न पड़ जाए। -संजीव मालवीय

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