खुद कुछ करते नहीं जो करें, उनको करने देते नहीं
खुद कुछ करते नहीं और जो करें उसे करने देते नहीं। कांग्रेस (Congress) की ये परम्परा वर्षों से चली आ रही है। एक-दूसरे की टांग खींचते-खींचते कांग्रेस की ये स्थिति हो गई, लेकिन अभी तक कांग्रेस सुधरने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे ही यादव समाज (Yadav community) के एक नेता को लेकर कांगे्रस के नेताओं ने सोशल मीडिया (Social media) पर लिख डाला कि इन्हें अध्यक्ष बनना है इसलिए अब समाज की राजनीति के मार्फत सपने संजो रहे हैं। इसको लेकर उक्त नेता ने आपत्ति ली तो पोस्ट हटा ली गई। वैसे शहर कांग्रेस में ऐसा कुछ चल नहीं रहा है, जिससे कार्यकर्ता सक्रिय हो सके।
अध्यक्ष तय नहीं और अभी से लॉबिंग
भाजपा (BJP) का अध्यक्ष तय नहीं हुआ है, लेकिन अभी से ही कुछ नेताओं ने नई कार्यकारिणी में आने की आस लगा ली है और बड़े नेताओं के हाथ-पैर जोडऩा शुरू कर दिए हैं। इनमें अधिकांश वे हैं जो दूसरे मोर्चों में महत़्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। कुछ मीडिया प्रभारी तो कुछ कार्यालय प्रभारी तक के पद के लिए भाजपा कार्यालय में चक्कर काटने लग गए हैं। बस अभी तय नहीं हो रहा है कि उन्हें किसकी चाकरी करना पड़ेगी, यानी नया अध्यक्ष कौन आएगा? फिलहाल पुराने अध्यक्ष गौरव रणदिवे की टीम ही अभी काम देख रही हैं और टीम में एक ऐसा भी व्यक्ति है जो जल्द ही अपने नाम के किसी ओर नेता का नाम लगाने को आतुर हैं।
शहर से ज्यादा गांव के कांग्रेसी सक्रिय
फिलहाल तो शहर से ज्यादा गांव के कांग्रेसी सक्रिय नजर आ रहे हैं। सदाशिव यादव को पद से हटाए जाने के बाद सबसे ज्यादा गांवों में घुसपैठ जारी है। सांवेर, महू, देपालपुर और राऊ जैसे गांवों में यादव खुद सक्रिय रहकर बता रहे हैं कि भले ही उनका कार्यकाल पूरा हो गया हों, लेकिन वे अभी भी वे पार्टी को एक किए हुए हैं। ये संदेश उन्होंने आलाकमान को भी पहुंचा दिया है। दूसरी ओर शहर अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्ढा कोई काम आने पर ही गांधी भवन की ओर रूख करते हैं और अधिकांश समय उनका व्यापार में बीत जाता है। यही स्थिति कार्यकारी अध्यक्षों की भी हैं, जो गांधीभवन में कम नजर आते हैं, लेकिन अपने ऑफिस में जरूर बैठते हैं।
महापौर को एक बार फिर बड़ी जवाबदारी
कुछ भी हो महापौर पुष्यमित्र भार्गव को एक के बाद एक बड़ी जवाबदारी मिलने से उनके शुभचिंतक आश्चर्य में हंै। अभी पिछले साल की एक अविधेशन में उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने बोलने का मौका मिला और वे छा गए। मंदसौर का चुनाव प्रभारी बनाया और मध्यप्रदेश सरकार के मेनिफैस्टो की टीम में भी उन्हें लिया गया। अब प्रधानमंत्री के वन नेशन वन इलेक्शन के सुझाव देने वाली टीम में उन्हें सहसंयोजक के रूप में लिया गया है, जबकि संयोजक एक रिटायर्ड जज हैं।
चित्रकूट में हुई प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं की संघ के पदाधिकारी से भेंट का परिणाम सामने नहीं आ रहा है। इंदौरी नेता इसके कई मायने निकाल रहे हैं, लेकिन खुले रूप से कोई कहने को तैयार नहीं है। अगर भाजपा अध्यक्षों की सूची घोषित भी हो जाती तो लगता कि दोनों नेताओं के बीच रजामंदी हो गई है, लेकिन बंद कमरे की मुलाकात में क्या बात हुई है, इसको लेकर तो फिलहाल कयास लगाए ही जा रहे हैं और जिसके परिणाम आने वाले दिनों में सामने आएंगे। -संजीव मालवीय
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