मेट्रो चली तो शहर हो गया बावला…
कई साल पहले मध्यप्रदेश (MP) शासन के नगरीय प्रशासन विभाग (Urban Administration Department) के एक प्रमुख सचिव इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) में अधिकारियों की बैठक लेने के लिए आए थे। इस बैठक के बाद जब उनसे पूछा गया था कि मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर को मुंबई कब बनाओगे? तो वे भडक़ गए थे और उन्होंने इंदौर को एक बड़ा गांव बता दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मिनी मुंबई जैसे शब्द इंदौर के लिए नहीं है। उनके द्वारा कहे गए शब्द पिछले दिनों उस समय याद आ गए जब सरकार की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के कार्यक्रम में बैठकर वहां से हरी झंडी दिखाकर इंदौर में मेट्रो ट्रेन को चला दिया। यह ट्रेन अभी प्रायोरिटी कॉरिडोर पर 6 किलोमीटर के क्षेत्र में आना और जाना कर रही है। जिस क्षेत्र में ट्रेन चल रही है, वहां पर सन्नाटा है। कोई आबादी नहीं है। किसी की उस स्थान पर आवाजाही नहीं है। फिर भी उस स्थान पर ट्रेन चली तो शहर खुश हो गया… मेरे शहर के लोग इतने खुश हो गए कि खुशी में बावले हो गए… अब तो लोग शहर के अलग-अलग कोने से अपनी गाड़ी का पेट्रोल जलाकर मेट्रो रेल के गांधीनगर स्टेशन पर पहुंच रहे हैं और फिर फ्री में इस रेल में 6 किलोमीटर का सफर करने के बाद वापस अपनी गाड़ी से लौट रहे हैं। शहर के नागरिकों के चरम को छूते इस उत्साह को बावलापन ही कहा जाएगा। अब मेट्रो के लिए ऐसा बावला पना क्या कहलाएगा..?
भाजपा में टूट रहा है प्रोटोकॉल
निरंतर सत्ता में बने रहने के कारण भाजपा में भी अंदरुनी रूप से प्रोटोकॉल तैयार हो गया है। पार्टी का मुख्यमंत्री हो या केंद्रीय मंत्री हो या केंद्रीय नेता हो तो यह तयशुदा है कि विमानतल पर उनके आगमन के बाद उनके साथ कार में पार्टी के शहर अध्यक्ष भी बैठते हैं। बाकी जो नेता नगरी कार में बैठने के लिए मचल रही होती है, उसे भी शहर अध्यक्ष को पहले बैठने की जगह देना पड़ती है। अभी पिछले दिनों में जो बड़े नेता इंदौर आए तो उनके आगमन के मौके पर भाजपा का यह स्व निर्धारित प्रोटोकॉल टूट गया। शहर अध्यक्ष को वीआईपी के साथ गाड़ी में बैठने का मौका नहीं मिला और उन्हें पीछे दूसरी गाड़ी से आना पड़ा। इस घटना को देखने वाले भाजपा के नेता चुटकी लेकर बता रहे हैं कि वर्तमान नगर अध्यक्ष की राह को पूर्व नगर अध्यक्ष रोक रहे हैं… अब यह चर्चा भाजपा के अंदर खाने में बहुत चल रही है। अब तो दीवारों के भी कान होते हैं… इसलिए बात निकलकर बाहर आती है और जब बाहर आती है तो फिर दूर तलक जाती है…
पटवारी को दिया राजा ने सहारा
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी के दो भाइयों और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सदाशिव यादव के खिलाफ पुलिस ने जमीन पर कब्जा करने और धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज कर लिया। यह मुकदमा दर्ज होने के बाद सीधे तौर पर कांग्रेस और पुलिस के बीच आमने-सामने वाली हालत बन गई। इस स्थिति के बावजूद कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता खामोश रहे। इन नेताओं ने ना तो पुलिस के खिलाफ कुछ बोला ना पटवारी के समर्थन में कुछ बोला। राजनीति को जानने वाले तो जानते थे कि ऐसा ही होगा। प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद पटवारी ने कौन से बड़े नेता के साथ अच्छे संबंध रखे हैं, जो कोई पटवारी के पक्ष में आवाज उठाएगा? अब कांग्रेस में तो कहा जाता है की जिसका कोई नहीं उसका राजा होता है… बस फिर क्या था इंदौर में महाराणा प्रताप की शौर्य यात्रा में शामिल होने के लिए आए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पुलिस आयुक्त कार्यालय पर हल्ला बोल दिया… राजा आयुक्त कार्यालय पर पहुंचे तो उनके साथ कांग्रेस के वे नेता भी पहुंचे, जो राजा के गुट के थे, लेकिन पटवारी के विरोधी थे। ऐसे में अब पटवारी को सोचना पड़ेगा कि प्रदेश अध्यक्ष पद तो आज है कल नहीं… लेकिन बड़े नेताओं से बनाकर नहीं रखी तो संकट ही संकट है…
टूटे हुए सपने जिंदा होने लगे
कांग्रेस के जो नेता संगठन का बड़ा पद पाकर आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे… उन लोगों की कोशिशें पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के साथ पटरी नहीं बैठने के कारण ब्रेक लग गया था। अब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा मध्यप्रदेश में संगठन को जिंदा करने के लिए नया अभियान शुरू करने का ऐलान किया गया है। इस अभियान के तहत पार्टी के जिला और शहर अध्यक्ष की नियुक्ति निष्पक्ष पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली से होगी। इस फैसले के बाद जिनके सपने टूट गए थे, वह उनके जिंदा हो गए और जो पटवारी की कृपा से सपना साकार होने की तरफ बढ़ रहे थे, उनके सपने टूटने की तरफ बढ़ते हुए नजर आने लगे हैं…
जरा मालूम तो करो…
महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा गणेशगंज के मामले की जांच करने के लिए महापौर परिषद के सदस्यों की कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर ली। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी महापौर को सौंप दी। कमेटी ने इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदु भी मीडिया से बात कर खबर छपवा ली। अब कमेटी के सदस्य मीडिया के लोगों को कह रहे हैं कि जरा महापौरजी को फोन लगाकर मालूम तो करो कि कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ… जरा दो-चार बार पूछोगे तो यह रिपोर्ट महापौर परिषद की बैठक में आ जाएगी। यह कहने वाले जब यह सब कुछ कह रहे होते हैं तो निश्चित तौर पर उनके दिमाग में महापौर द्वारा गठित की गई कमेटी की सराफा की चाट चौपाटी वाली रिपोर्ट होती है…
राऊ से इतना प्रेम क्यों..?
इन दिनों नगर निगम में एक सवाल पूछा जा रहा है। सवाल यह है कि राऊ विधानसभा क्षेत्र के प्रति महापौर का इतना प्रेम क्यों है। इस विधानसभा क्षेत्र में विकास के प्रस्ताव तेज गति से मंजूर होते हैं… भूमिपूजन महापौर करते हैं… और फिर काम जल्दी हो, इसकी निगरानी भी होती है… ऐसा क्यों हो रहा है..?
– डा जितेन्द्र जाखेटिया
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