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उप्रः पिछले दस वर्षों में तम्बाकू कम्पनियों के 16 मामलों में 3196.63 लाख की टैक्स चोरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पिछले दस वर्षों में तम्बाकू कम्पनियों के 16 मामलों में कुल 3196.63 लाख रुपये के टैक्स चोरी के मामलों का पता चलता है, जिसमें सिगरेट, पान मसाला व अन्य तम्बाकू उत्पादों के अवैध व्यापार एवं टैक्स चोरी के मामले शामिल हैं। यह खुलासा एक शोध ​में हुआ है।

भारत में तम्बाकू उद्योग के अवैध व्यापार एवं टैक्स चोरी के मामलों पर गुरुवार को यहां गिरी विकास अध्ययन संस्थान में शोध रिपोर्ट साझा की गयी। इस मौके पर शोध रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया। उत्तर प्रदेश राज्य का शोध कार्य गिरि विकास अध्ययन संस्थान लखनऊ के एसोसिएट प्रोफेसर तथा पब्लिक हैल्थ रिसर्च के संयोजक डाॅ. सीएस वर्मा तथा रिएक्ट से विवेक अवस्थी ने किया है।


विभिन्न सरकारी व अन्य संस्थानों को आना होगा आगे
डॉ. सीएस वर्मा के मुताबिक तम्बाकू क्षेत्र की चुनौतियों के लिए सरकारी, अंतरराष्ट्रीय एजेन्सियों, रिसर्च संस्थान तथा विविध सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन को एक साथ आना होगा। उन्होंने इस पर एक फैक्ट शीट भी जारी की।

शोध से जुड़ी संस्था रिएक्ट से विवेक अवस्थी ने कहा कि हमने कई सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सरकारी दस्तावेजों का अध्ययन किया है और पाया है कि वे भारत में तम्बाकू उद्योग के अवैध व्यापार में संलग्न होने के तरीकों, साथ ही साथ इसके अवैध व्यापार को भी रिकार्ड करते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के तम्बाकू उद्योग का दावा है कि उसका व्यवसाय वैध है और अवैध व्यापार बहुत कम लोगों द्वारा किया जाता है, जो विदेशी ब्रांडों का व्यापार करते हैं।

तम्बाकू कम्पनियां सरकार को धोखा देते हुए करती हैं कर चोरी
रिएक्ट ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सरकारी स्त्रोतों जैसे भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी), केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (सीईआईबी) और संसद की रिपोर्ट की समीक्षा की और पाया कि प्रख्यात सिगरेट और पान मसाला कम्पनियों समेत तम्बाकू कम्पनियां सरकार को धोखा देते हुए कर चोरी करती हैं। रिएक्ट की रिपोर्ट में पूरे भारत की कई केस स्टडी भी शामिल की गई हैं।

अवैध तम्बाकू व्यापार होने पर जन कल्याणकारी कार्यों पर पड़ता है असर
गिरि विकास अध्ययन संस्थान के डाॅ. मंसूर अली ने कहा एक कि चीज स्पष्ट है कि जब सरकार कर-राजस्व से कम रुपये जुटा पाती है, तो उसके पास अपने नागरिकों और उनके स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए कम पैसे होते हैं। इसलिए जब अवैध तम्बाकू व्यापार होता है, तो सरकारों के पास कल्याणकारी कार्यों में खर्च करने के लिए कर राजस्व कम होता है, और लोग तम्बाकू का अधिक सेवन करते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य खराब होता है।

कर चोरी के तरीकों से सरकार को 390.38 करोड़ का नुकसान
शोध रिपोर्ट के अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2009-2018 के बीच की कम से कम 108 सीएजी रिपोर्टों में यह दर्शाया गया है कि तम्बाकू उद्योग कर का भुगतान करने से बचने और अवैध रूप से अपने उत्पादों को बेचने के लिए कई साधनों का प्रयोग करता है। इन रिपोर्टों के अनुसार, तम्बाकू उद्योग ने सरकार को कम से कम 390.38 करोड़ का नुकसान किया है।

डीआरआई की रिपोर्टों में भी महाराष्ट्र से भारी मात्रा में पकड़ी गई अवैध सिगरेट, आंध्र प्रदेश से कर चोरी करके ले जाई जा रही सैकड़ों टन सुपारी और बड़ी मात्रा में पान मसाला का उल्लेख किया गया है, इनमें से अधिकांश वस्तुओं की ट्रेन और रेलवे स्टेशनों का इस्तेमाल करते हुए तस्करी की गई।

रेलवे नेटवर्क का अवैध तम्बाकू के कार्य में हो रहा इस्तेमाल
सीबीआईसी की रिपोर्ट में भारत के व्यापक रेलवे नेटवर्क से अवैध तम्बाकू के बड़े आवागमन को दर्शाया गया है। जून 2020 में, एक विशेष मिशन ऑपरेशन कर्क ने मध्य प्रदेश में 250 करोड़ रुपये के धुआंरहित तम्बाकू धोखाधड़ी का खुलासा किया था। भारतीय संसद के रिकार्ड तम्बाकू उद्योग का आपराधिक नेटवर्क से सम्बन्ध तथा तम्बाकू उद्योग द्वारा उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क की चोरी के कम से कम 189 केस दर्शाते हैं, जो 100 करोड़ के हैं, जिसमें से कम से कम 25 केस (14 प्रतिशत) तम्बाकू कम्पनियों के थे।

सभी प्रकार के तम्बाकू मृत्यु का कारण
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डाॅ. सुनील पाण्डेय ने कहा कि सभी प्रकार के तम्बाकू मृत्यु का कारण बनते हैं, चाहे वे वैध रूप से बेचे गए हों या अवैध रूप से उनका व्यापार किया गया हो। अवैध तम्बाकू व्यापार से तम्बाकू उत्पाद संवेदनशील समूहों जैसे बच्चों, किशोरों और सुविधावंचित समुदायों के लिए सस्ते और आकर्षक हैं। बिना कर चुकाए और तस्करी किये गए तम्बाकू के कारण सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। राज्य में अन्य गंभीर व्यसनों के लिए तम्बाकू का प्रयोग एक प्रवेश द्वार है।

कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने से अवैध व्यापार में कमी सम्भव
इस अवसर पर राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य सलाहकार सतीश त्रिपाठी ने कहा कि तम्बाकू नियंत्रण के लिए बने कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने से अवैध व्यापार में कमी आएगी व बाजार में अवैध रूप से उपलब्ध सस्ते तम्बाकू उत्पादों में कमी आएगी। केजीएमयू के डाॅ. विनय गुप्ता ने कहा कि तम्बाकू से सेवन से दांतों व मुंह के कैंसर की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं तथा तम्बाकू उत्पादों के प्रभावी नियंत्रण से इसमें कमी लायी जा सकती है। (एजेंसी, हि.स.)

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