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MP: दिन में सब्जी का ठेला, रात में पढ़ाई, सिविल जज बनकर ऐसे लहराया परचम

सतना: किसान पिता और मजदूर मां के बेटे ने सिविल जज बनकर सतना जिले (Satna District) का नाम रोशन किया है. उनके संघर्ष की कहानी भी अनोखी है. उन्होंने इस पद पर पहुंचने के लिए कोई कोचिंग नहीं ली, बल्कि सेल्फ स्टडी के दम पर ये मुकाम हासिल किया. उन्होंने ओबीसी वर्ग में पूरे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दूसरी रैंक हासिल की है. सिविल जज बनकर जब वे गांव गए तो उनका जोरदार स्वागत किया गया.

 सिविल जज (civil judge) के परिणाम घोषित हो गए. इसमें सतना के अमरपाटन के रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा ने ओबीसी वर्ग में सेकंड रैंक हासिल की है. इससे पहले शिवाकांत चार बार सिविल जज की परीक्षा में बैठ चुके थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी. पांचवी और आखिरी बार में वे सफलता के पायदान पर पहुंचे. इनके संघर्ष की कहानी किसी को भी प्रेरणा दे सकती है.


संघर्ष की कहानी
सिविल जज शिवाकांत के पिता कुंजी लाल कुशवाहा (Father Key Lal Kushwaha) का बेहद छोटा खेत है. इसमें वे सब्जियां उगाते हैं और बेचते हैं. शिवकांत भी पिता के साथ सब्जियों के ठेले पर बैठते थे. दूसरी ओर, उनकी मां घर चलाने के लिए मजदूरी करती थीं. उनके निधन के बाद परिवार की हालत और खराब हो गई. तीन भाई एक बहन में शिवाकांत कुशवाहा दूसरे नंबर पर हैं. उन्हें बचपन से ही पढ़ाई का शौक था और उन्होंने परिवार की खराब आर्थिक स्थिति को इसमें रुकावट नहीं बनने दिया. सब्जियों के साथ-साथ शिवाकांत सीजन में गन्ने के जूस का ठेला (sugarcane juice bar) भी लगाते थे.

14 घंटे पढ़ाई रोज
इन परिस्थितियों में भी शिवाकांत ने हार नहीं मानी और लगातार पढ़ते रहे. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा, हाई स्कूल और हायर सेकंडरी की परीक्षा अमरपाटन के सरदार पटेल स्कूल से पास की. कॉलेज की पढ़ाई अमरपाटन के ही शासकीय कॉलेज में की. इसके बाद वे एलएलबी करने रीवा के ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय आए. (Thakur came to Ranmat Singh College.) यहां उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कोर्ट में प्रैक्टिस की और जज की तैयारी करने लगे.

चार बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और पांचवी बार प्रदेश में ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान प्राप्त किया. शिवाकांत ने इस पद पर पहुंचने के लिए रोज 14 घंटे पढ़ाई की. इस मौके पर शिवाकांत कुशवाहा ने कहा कि इस उपलब्धि के पीछे परिवार और शुभचिंतकों का बहुत बड़ा हाथ है. मैं सभी का आभार मानता हूं. परिवार ने जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया.

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