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अयोध्या में इसबार बहुत खास दीपोत्सव

– सियाराम पांडेय ‘शांत’

11 से 13 नवंबर अयोध्या के लिए बेहद खास है। वह इसलिए कि इन तीन दिनों तक रामनगरी में दीपोत्सव की धूम रहेगी। कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए लोग भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में अपनी आस्था के दीप जलाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह इस कार्यक्रम में वर्चुअली शिरकत करेंगे। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ इसबार भी दीप जलाने अयोध्या जाएंगे।

वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अयोध्या में भव्य दीपोत्सव मनाने का आरंभ हुआ। इस साल योगी सरकार चौथा भव्य दीपोत्सव मनाने जा रही है। अभीतक के तीन दीपोत्सव में अयोध्या में राम की पैड़ी पर तो लाखों की तादाद में दीपक जले लेकिन दीपोत्सव से रामजन्मभूमि परिसर उपेक्षित रहा। रामलला के अस्थायी मंदिर में पुजारी द्वारा जलाया गया दीप ही हर साल टिमटिमाता नजर आता है लेकिन इसबार अयोध्या की दीपावली इसलिए भी अहमियत रखती है क्योंकि 492 साल बाद भगवान श्रीराम की जन्मभूमि दीपों से जगमगाएगी। कतिपय प्रतिबंधों की वजह से पहले ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं था लेकिन अब राममंदिर मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आ गया है और वहां रामलला के मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन और शिलान्यास भी हो गया है।

इस लिहाज से देखा जाए तो इसबार की दीपावली अयोध्या के लिए बेहद खास है जब रामजन्मभूमि परिसर में भी दीपोत्सव की जगमग देखने को मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा है कि करीब पांच शताब्दी की लम्बी प्रतीक्षा के बाद श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर का शिलान्यास हो जाने के पश्चात अयोध्या में आयोजित ‘दीपोत्सव-2020’ का विशेष महत्व है। वैसे भी योगी सरकार हर दीपोत्सव में अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ देती है। इसबार योगी सरकार की योजना 5 लाख 51 हजार दीपक जलाए जाने की है। पिछले साल अयोध्या में 4 लाख दीपक जलाए गए थे। हर साल गिनीज बुक में अयोध्या का दीपोत्सव दर्ज होता रहा है, इसबार भी कुछ ऐसा ही करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस आयोजन को विश्वस्तरीय बनाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की मानें तो अयोध्या को विश्वस्तरीय पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित किया जाएगा और वह इस दिशा में साल-दर-साल आगे बढ़ भी रहे हैं।

राममंदिर मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 9 नवंबर, 2019 को आया था। इस निर्णय तिथि के एक साल पूर्ण होने पर रामादल ट्रस्ट की ओर से विशेष पूजा अनुष्ठान का आयोजन किया है। इस अवसर पर सरयू तट पर अयोध्या का दुग्धभिषेक किया जाना है। यह पहला अवसर होगा जब कोई अयोध्या का दुग्धाभिषेक करेगा। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंबी उम्र की कामना के साथ अयोध्या के हर चौराहे पर 108 बत्तियों वाले दीपक जलाए जाएंगे। श्रद्धालु और संत 9 नवंबर को सरयू तट पर बाल्मीकि रामायण रचित सुंदरकांड के साथ हनुमान चालीसा का भी पाठ करेंगे। दूसरी ओर अवध विश्वविद्यालय द्वारा दीपोत्सव के मद्देनजर भव्य और आकर्षक झाांकियां निकाली जाएगी। पर्यटन विभाग ने सरयू घाटों, राम की पैड़ी और अस्थायी वीआई चबूतरे के निर्माण को अंतिम रूप देना आरंभ कर दिया है। दीपोत्सव में आने वालों को सेनेटाइजर और मॉस्क उपलब्ध कराए जाएंगे।

भगवान राम और दीपोत्सव का युगों पुराना रिश्ता है। त्रेता युग में रावण वध के बाद जब भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे तब अयोध्या दीपों से सजाई गई थी। कहते हैं कि इसी के बाद पूरे देश में दीपावली मनाई जाने लगी। भगवान राम की तरह अयोध्या के किसी अन्य राजा का दीप जलाकर स्वागत किया गया हो, ऐसा प्रमाण नहीं मिलता। अयोध्या में भी हर दीपावली को लोग अपने घरों में दीप जलाते रहे। दालान, खलिहान और ओसारे में दीप जलाते रहे। यम का दिया। दलिद्दर का दीप जलाते-निकालते रहे लेकिन दीप जलाने के वास्तविक निहितार्थ से दूर रहे। महर्षि वेदव्यास ने लिखा है कि दीपक की ज्योति ही परब्रह्म है। दीप ज्योति ही जनार्दन अर्थात ईश्वर है। दीप हमारे पापों को नष्ट करता है। ऐसी हे दीप ज्योति! आपको नमस्कार है। ‘दीप ज्योति परब्रह्म, दीप ज्योतिर्जनार्दनः, दीपो हरति मे पापं, दीप ज्योतिर्नमोस्तुते।’

अयोध्या के दीपोत्सव में हर साल नवोन्मेष हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इसबार दीपोत्सव में मिट्टी तथा गोबर से निर्मित दीयों के प्रज्ज्वलन के निर्देश दिए हैं। दीपक प्रकाश का प्रतिनिधि है। ज्ञान और विज्ञान का प्रतिनिधि है। दीपक से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए। दीपक खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देता है। इस बहाने वह खुद को जानने की प्रेरणा देता है। त्याग और बलिदान समाजसेवा की पहली शर्त है। दीपक जैसा जीवन जीना होगा। दीपोत्सव पर जलने वाले दीपक सामान्य नहीं हैं। यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के राज्य के दीप हैं। यह उस राजा के स्वागत में जलेंगे जिसने अपने सिद्धांतों और आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया। प्रजा के हित को सर्वोपरि समझा। दीप जलाते वक्त अपने आराध्य से प्रार्थना की जानी चाहिए कि वह हमें सन्मार्ग पर चलाए।

अयोध्या में दीपों का जलना सामान्य घटना नहीं है। ये दीपक आस्था और विश्वास के हैं। आदर्शों और सिद्धांतों के हैं। त्याग और बलिदान के हैं। संसार के कल्याण के लिए हर क्षण तैयार रहने वाली जनभावना के हैं। दीपों को हवा के थपेड़े भी झेलने पड़ते हैं लेकिेन वे उनसे अंतिम क्षण तक संघर्ष करते हैं और हम इंसानों को प्रेरणा देते हैं- प्रबल प्रतिकार करो। दीपक हमें अपना दीपक खुद बनने की प्रेरणा देते हैं। दीपावली हमें पुरुषार्थ और परमार्थ का दीया जलाने का संदेश देती है। इन दीपों को प्रतीकात्मकता और औपचारिकता से मत जोड़िए। सरकार को चाहिए कि वह दीपोत्सव को जनजागृति का विषय बनाए। इस बहाने सामूहिकता की भावना को विकसित करे। रामनगरी में दीपोत्सव का यही उद्देश्य भी है।

(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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