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Violent protests in Kazakhstan : देखते ही गोली मारने के आदेश, सैकड़ों की मौत

अलमाटी । कजाखस्तान में रूसी सेना के आने के बाद भी हिंसक प्रदर्शन (Violent protests in Kazakhstan) रुकने का नाम नहीं रहे हैं। अब तो हालात हर दिन के साथ बिगड़ते जा रहे हैं, रूस के सैन्य हस्तक्षेप (military intervention) के बावजूद इसे नियंत्रित किया जा सका है। नौबत यह आ गई कि राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने शुक्रवार को हिंसा में शामिल लोगों को बिना चेतावनी के मारने के आदेश सुरक्षाबलों को दिए हैं। राष्ट्रपति ने कहा है कि हिंसा भड़का रहे लोग विदेश में प्रशिक्षित आतंकी हैं, इसलिए उनके साथ किसी तरह की दया नहीं की जाएगी।



वहीं लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतों में बढ़ोतरी के विरोध में शुरू हुई हिंसा में हफ्ते भर में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। पुलिस ने हिंसा में शामिल करीब चार हजार लोगों को गिरफ्तार किया है।
रूसी कमांडो के उतरने के बावजूद देश के मुख्य शहर अलमाटी में गुरुवार और शुक्रवार के मध्य की पूरी रात हिंसा जारी रही, आगजनी और गोलीबारी होती रही। रूस के नेतृत्व वाले मित्र देशों के संगठन की ओर से 2,500 सैनिक कजाखस्तान भेजे गए हैं।
बता दें कि रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि 70 से ज्यादा विमान कजाखस्तान सरकार की मदद के लिए लगातार सक्रिय हैं। हिंसा की स्थिति खत्म कर शांति कायम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। राष्ट्रपति टोकायेव ने कड़े रुख का इजहार करते हुए कहा है कि आतंकी हथियार डालकर आत्मसमर्पण करें, नहीं तो सुरक्षा बल उन्हें पूरी तरह से खत्म करने के बाद ही रुकेंगे। टोकायेव ने साफ किया है कि रूसी सैनिक हिंसाग्रस्त इलाकों में सीधी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, वे कजाख बलों का सिर्फ सहयोग कर रहे हैं।
कजाखस्तान न केवल भारत का मित्र देश है बल्कि वहां पर बड़ी संख्या में भारतीय रह भी रहे हैं। नूर सुल्तान में स्थित भारतीय दूतावास हालात पर नजर रखे हुए हैं। हिंसा का दौर अलमाटी, राजधानी नूर सुल्तान और अन्य प्रमुख शहरों में जारी है। लगभग दो करोड़ की आबादी वाले इस पूर्व सोवियत देश में ज्यादातर लोग इन्हीं शहरों में रहते हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति के व्हाइट हाउस कार्यालय की प्रवक्ता जेन पास्की ने कहा है कि कजाखस्तान में रूसी सेना की तैनाती पर अमेरिका की नजर है।
विदित हो कजाखस्तान तेल और यूरेनियम का प्रमुख उत्पादक देश है। हफ्ते भर से जारी हिंसा के चलते उसका तेल उत्पादन कम हुआ है। एजेंसी

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